मन के श्रध्दा हर पूजा ए देवता - धामी भाव म बसथे
कुछु जिनिस के जरुरत नइये देवता धामी भाव म बसथे ।
फूल ले फर ले अऊ नरियर ले देवता धामी खुश नइ होवयँ
प्रेम से वोकर मेर गोठियावव देवता धामी भाव म बसथे ।
नदिया के जब पूजा करथव फूल - पान वोमा झन डारव
दिया बोहावव झन नदिया म देवता धामी भाव म बसथे ।
सोन - चांदी रुपिया - पैसा ले देवता-धामी ल का मतलब
वोहर खुद वैभव के स्वामी देवता - धामी भाव म बसथे ।
भगवान भाव के भुखहा हावै धन - दौलत ल का करही
मया - प्रेम ले वोला रिझावव देवता धामी भाव म बसथे ।
कुछु जिनिस के जरुरत नइये देवता धामी भाव म बसथे ।
फूल ले फर ले अऊ नरियर ले देवता धामी खुश नइ होवयँ
प्रेम से वोकर मेर गोठियावव देवता धामी भाव म बसथे ।
नदिया के जब पूजा करथव फूल - पान वोमा झन डारव
दिया बोहावव झन नदिया म देवता धामी भाव म बसथे ।
सोन - चांदी रुपिया - पैसा ले देवता-धामी ल का मतलब
वोहर खुद वैभव के स्वामी देवता - धामी भाव म बसथे ।
भगवान भाव के भुखहा हावै धन - दौलत ल का करही
मया - प्रेम ले वोला रिझावव देवता धामी भाव म बसथे ।
फोकट म अधिकार नइ मिलय
आज़ादी का फोकट मिल गे कतका बड कीमत चुकाय हन
आजो लहू चढावत हावन फोकट म अधिकार नइ मिलय ।
हक नइ मिलय सजे - थारी म लडना परथे बडे - लडाई
लूट के लेना परथे हक ल फोकट म अधिकार नइ मिलय ।
मान - सरोवर कहॉ गँवा गे अब वोला हम कइसे पावन
ड्रैगन के जबडा ले लानव फोकट म अधिकार नइ मिलय ।
राणा - प्रताप हर लडिस लडाई कतका दुख पाइस परिवार
भामाशाह मिलिस फेर वोला फोकट म अधिकार नइ मिलय ।
बहिनी - मन अब आघू - आवव अपन हक़- बर करव लडाई
भाई - मन के हाथ ले लूटव फोकट म अधिकार नइ मिलय ।
गुटखा पान कहूँ झन खावव
भारत - माता ल सजाए बर देना परही अब कुरबानी
महतारी के मान - बढावौ गुटखा - पान कहूँ झन खावव ।
पचर - पचर थूकत हावैं सब कहॉ ले भारत सुघ्घर दिखही
मुँह म थोरिक लगाम लगावौ गुटखा पान कहूँ झन खावव ।
नान- नान लइका - मन मुँह म गुटखा - माखुर भरे - भरे हें
बोहाथे बचपन तेला बचावौ गुटखा - पान कहूँ झन खावव ।
सुघ्घर - सफ्फा रहय देश हर ए सब के जिम्मेदारी ए
मुँह ल तो पहिली उजरावव गुटखा पान कहूँ झन खावव ।
देश के हित सब ले आघू हे उद्योगी - मन देवयँ ध्यान
देश ल सुघ्घर स्वच्छ बनावौ गुटखा पान कहूँ झन खावव ।
No comments:
Post a Comment