Thursday 17 April 2014

वेद- पुराण उचारत हावय

सरग   ल   टमरत   ठाढे   हावय  देवदारु  कोटवार   हर 
बादर सँग हॉसत-गोठियावत हे   देवदारु कोटवार  हर ।

महर-महर मम्हावत हावै चिक्कन-चिक्कन पान वोकर 
राग  -  भैरवी   गावत   हावय   देवदारु   कोटवार   हर ।

रूप अऊ गुन म निच्चट वोहर देवता मन कस लागत हे 
सबके  सुख - दुख  पूछत  हावै  देवदारु  कोटवार   हर ।

भरे  हे ओखद के  जम्मो  गुन  देवदारु के  रुख  म  सुन
प्रान  ल  सञ्जीवनी   देवत  हे  देवदारु  कोटवार   हर ।

'शकुन' गरीयस  कस  लागत  हे  चँवर डोलावत ठाढे हे
वेद  -  पुरान  उचारत   हावय    देवदारु कोटवार  हर ।

Monday 7 April 2014

शकुन अगोरत हे मनखे सावन भादो ल

पानी  गिरथे  तव  मन  हर  मँजूर  हो  जाथे  काबर
बादर  के  घन-घन  गर्जन  तोला  डेरवाथे  काबर ?

बौराथे  बादर  पानी  गिरथे माटी  ह काबर मम्हाथे
रिमझिम  पानी  म  मनखे- मन  हरियाथे काबर ?

तीजा-पोरा  म  नोनी आही अगोरत  हावै  महतारी
नोनी  के  तरपौंरी  हर  घेरी-बेरी  खजुवाथे काबर ?

रिम-झिम  पानी  म   फेर  किसान  हर  जी  जाथे
तरिया हे  मतलाय  तभो मन हर  उजराथे काबर ?

'शकुन'  अगोरत  हन  सब  झन  सावन - भादो  ल
सावन आगे धक-धक धक मन ल धडकाथे काबर ?

Sunday 6 April 2014

नेरुआ इहे गडे हावय

अरुणाचल झन जाव कोनो चीन गुरेरत हे हमला 
महतारी  के  अ‍ॅचरा  बिन  हम  चैन  कहॉ पाबो ?

नोनी कौडी कानी हो गे कोख म हत्या  होवत  हे
एही  हाल  रइही  तव  भइया  बहू  कहॉ  पाबो ?

नक्सल  के  नासूर ले  अब कइसे  बॉहचय  गढ
छत्तीसगढ ल  छोंड  के  हम आऊ  कहॉ  जाबो ?

नेरुआ इहें गडे हावय एकरे माटी म मिल जाबो
छत्तीसगढ ल  छोंड  के  फेर आऊ  कहॉ जाबो ? 

भाई  मन  के  पोगरी  ए  सफ्फा  सब अधिकार 
बहिनी  मन अदियावन  हन  मान  कहॉ पाबो ?


Saturday 5 April 2014

तोर अब्बड सुरता आथे

जतके  कथौं  भुलाहौं  तोला  तोर  ओतके  सुरता आथे ।
मानय नहीं  बात  मोर  मन ह तोर अब्बड सुरता आथे ।

प्रेम  से  तैं  हर  गोठिया लेते मैं ओतके  म  जी  जातेंव ।
का  जानवँ  तोर  मन  म का हे तोर अब्बड सुरता आथे ।

बिना  भरोसा  प्रेम  नइ  होवय हमला काकर डर हावय ।
तोला   मैं  कइसे  समझावौं  तोर  अब्बड   सुरता  आथे ।

तहूँ  मया  करथस  मोला  ए  बात ल  मैं  हर  जानत हौं ।
तोर ऑखी तोर कस लबरा नइए तोर अब्बड सुरता आथे।

'शकुन' मया  हर  कहॉ लुकाथे भींजे माटी कस मम्हाथे ।
कभु कोनो मेर  झन कहिबे तैं तोर अब्बड  सुरता आथे ॥