Sunday 28 July 2013

नोनी कौडी कानी हो गे

                                                

मनु के देश म देख ले तैं हर नोनी कौड़ी-कानी हो गे

काकर मेर गोहरावय कइसे नोनी कौड़ी कानी हो गे ।

डाक्टर इंजीनियर सब्बो के एकेच हाल हे कुंदरा म

भर-पेट दार-भात नई पावय नोनी कौड़ी कानी होगे ।

नेवरात म होवत हावय कइना-पूजा जगहा-जगहा

तभो ले नीयत नई सुधरे हे नोनी कौड़ी कानी हो गे ।

महतारी भौजी बहिनी बेटी सबके बिकट दुर्दशा हावै

कम्प्यूटर कस बौरावत हावै नोनी कौड़ी कानी होगे ।

' शकुन ' बचा नोनी के थरहा बंश-बढ़ाथे बेटी -माई

नोनी बिन अँगना सुन्ना हे नोनी कौड़ी कानी हो गे ।


शकुन्तला शर्मा, भिलाई  [ छ. ग. ] 

Thursday 25 July 2013

ठुमरी


बैरी  तैं  नई  आए  भिनसरहा  हो  गईस

सुकुवा ह मोला निनासिस अऊ चल दिस।

 

पलक के  बहिरी म रस्ता बहारेंव

रस्ता म आँखी के पुतरी दसाएंव

दार अऊ भात  म करा  एदे  पर  गईस

बैरी तैं  नई आए  भिनसरहा हो गईस ।

 

सब्बो संगवारी मन झूलना झूलत हें 

सावन म जिन्दगी के मज़ा लेवत हें

तोर बिना जिनगी ह अदियावन हो गईस

बैरी  तैं  नई  आए  भिनसरहा  हो  गईस ।

 

शकुन्तला शर्मा, भिलाई [ छ. ग.  ]

Wednesday 24 July 2013

ददरिया



                   


मुँहरन हर गजब सुघ्घर  हावय तोर

तोरे डहर लगे रहिथे मन हरहा मोर ।

चिरई करय चोचला फेंकत हावय फोकला फुडहर डहर

फुडहर डहर फुनगी फेंकत हावय फोकला फुडहर डहर ।

आनी- बानी के सिंगार करय न

घेरी- बेरी बेनी गाँथय गोंदा फूल खोंचय

पिचकाट अब्बड़ करय तेला का बतावौं

चिरई करय चोचला फेंकत हावय फोकला फुडहर डहर

फुडहर डहर भईया फेंकत हावय फोकला फुडहर डहर ।

मेला-मडई म ओदे किन्दरत हे न

रेंहचुल म झूलत हे मुर्रा-लाडू खावत हे

मोला ठेंगा देखावत हे मोर मन मोह लिस न

चिरई करय चोचला फेंकत हावय फोकला फुडहर डहर

फुडहर डहर फुनगी फेंकत हावय फोकला फुडहर डहर ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई [ छ. ग, ]

Thursday 18 July 2013

ठुमरी



सावन  ह आ गे तैं आ जा  संगवारी 
झटकन नइ आए तव खाबे तैं गारी ।

नरवा अऊ नदिया म पूरा ह आए हे 
मोर मन के झुलना बादर म टँगाए हे
हरियर- हरियर हावै भुइयॉं महतारी 
झटकन नइ लहुटे तव खाबे तैं गारी ।

बड सूना लागत हे सावन म अँगना
रोवत हे रहि-रहि के चूरी अउ कंगना ।
सुरता  ह  धर  के  ठाढे  हावय  आरी
झटकन नइ आए तव खाबे  तैं गारी ।

सावन  ह आगे  तैं आ जा  सँगवारी 
झटकन नइ आए तव खाबे तैं गारी ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई { छ. ग. }