झिमिर - झिमिर पानी बरसत हे पानी - बादर आ गे रे
खपरा नइ लहुटाए पायेंव सावन - भादो आ गे रे ।
ओन्हा बने सुखावत नइये गोमसुर - गोमसुर लागत हे
ऑखी- कान ल मूँद के गरमी पल्ला- तान के भागै रे ।
नांगर - बैला के दिन आ गे बिजहा - भतहा देखव तो
भिंदोल घला लउहा लेवत हे सावन - भादो आ गे रे ।
गोबर - खातू डारव आवव धान के बिजहा बोवव अब
खन - खन ले फेर धान ल पाबो बादर - पानी आ गे रे ।
ओरिया - चूहत हावय ओदे लइका - मन इतरावत हें
'शकुन' अघावय हर मनखे ह बादर - पानी आ गे रे ।
खपरा नइ लहुटाए पायेंव सावन - भादो आ गे रे ।
ओन्हा बने सुखावत नइये गोमसुर - गोमसुर लागत हे
ऑखी- कान ल मूँद के गरमी पल्ला- तान के भागै रे ।
नांगर - बैला के दिन आ गे बिजहा - भतहा देखव तो
भिंदोल घला लउहा लेवत हे सावन - भादो आ गे रे ।
गोबर - खातू डारव आवव धान के बिजहा बोवव अब
खन - खन ले फेर धान ल पाबो बादर - पानी आ गे रे ।
ओरिया - चूहत हावय ओदे लइका - मन इतरावत हें
'शकुन' अघावय हर मनखे ह बादर - पानी आ गे रे ।
दायी
भिनसरहा ले सुरुज किरन कस
घर म अँजोर - बगराथे दायी ।
सब - झन बर फेर फरा बना के
सब झन मेर अमराथे दायी ।
भभर - भभर के सब ल खवाथे
खुद लॉघन रहि जाथे दायी ।
मन म कतको बड दुख होवय
हॉसत- गोठियावत रहिथे दायी।
छोकरी के बिहाव - करना हे
जोरत हे पाई - पाई दायी ।
बिन बेटी सूना हे अंगना
बेटी बहिनी के जानव महिमा बिन बेटी सूना हे अंगना
समरसता ल वोही सिखोथे बिन बेटी सूना हे अंगना ।
घरवाला के लइका - मन के सब ले आघू करते जोखा
बॉहचे -खुँचे ल खुद खा लेथे बेटी बिन सूना हे अंगना ।
कॉटा खूँटी जोर-जोर के करलई करके बनाथे कुन्दरा
होम देथे फेर सरी जिन्दगी बेटी बिन सूना हे अंगना ।
अपढ हावै भले बिचारी फेर कुटुंब के किस्मत लिखथे
वोहर जस कभ्भु नइ पावय बेटी बिन सूना हे अंगना ।
हपटत - गिरत तीरथे गाडी मञ्जिल तक अमरा देथे
गौ-गरुआ कस पेरथे जॉगर बेटी बिन सूना हे अंगना ।
मोर दायी ए लक्ष्मी दायी
मुसुवा घर म भूख मरत हे फेर धान कहॉ पा जाथे दायी
भात - साग रोजे खावत हन मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी ।
साग बिसाय ब पैसा नइये फेर खाथन हम रोजेच साग
मुनगा - भाजी रोज रॉधथे मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी ।
बनी करे बर जाथे दायी टुकनी म फेर धान लानथे
तुरते फेर ढेंकी म कूटथे मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी ।
देवारी के दिन खीर बनाथे वोही मोला बिकट मिठाथे
बॉट-बॉट के खाथन सब झन मोर दायी ए लक्ष्मी दायी ।
मैं अऊ नोनी स्कूल जाथन स्कूल ले जब घर म आथन
चीला - चटनी रोज खवाथे मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी ।
मोर दायी मीठ - मीठ गोठियाथे
बिकट मया करथे मोला अऊ रोज मोला स्कूल अमराथे
रोज कहानी मोला सुनाथे मोर दायी मीठ- मीठ गोठियाथे ।
मुर्रा - मुराई लाने हावय घाम म बैठे मैं खावत हवँ
गो - रस चुरो के लानत हावय मोला गो -रस बहुत मिठाथे ।
इमला म मोर गलती झन होय बनै नहीं फेर कोनो सवाल
पहाडा मोला रोज रटाथे मोर दायी मीठ - मीठ गोठियाथे ।
छुवा-छुवौवल खेलथे मोर संग वोहर मोला बिकट छकाथे
बड - मुश्किल म छूथौं वोला जब दौंडत - दौंडत थक जाथे ।
एक्के ठन लुगरा ल कइसे पहिरे - पहिरे दिन काटिस हे
चिरहा अँचरा कहॉ दिखत हे कोजनी कतका बेर बटियाथे ?
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