Saturday 16 August 2014

महतारी के मान बढाबो

महतारी  के  मान  बढाबो  दुनियॉ  भर म नाव कमाबो
दाई  के अँचरा  मम्हाही  तभे  चतुर  सुजान  कहाबो ॥

ताना - नाना कर डारे हन अब सपूत हमला बनना हे ।
मेहनत  ले आगे बढना हे तभे  चतुर सुजान कहाबो ॥

चूल्हा बरय रोज सब घर म दार - भात सब झन खावैं
सब्बो लइका स्कूल जाहीं तभे  चतुर सुजान कहाबो॥

भाई-बहिनी सब जुर मिल के देश-धर्म बर बुता करव
दाई के अँचरा झन मैलावै तभे चतुर सुजान कहाबो॥

'शकुन' चलौ सब्बो सँगे- सँग भारत मॉ के मान बढाबो
महतारी जब भोजली गाही तभे चतुर सुजान कहाबो ॥
 

Tuesday 5 August 2014

छत्तीसगढ के सब्बो गॉव

आम  लीम  बर  पीपर  पहिरे  छत्तीसगढ  के  सब्बो  गॉव ।
नरवा -  नदिया  तीर  म  बैठे  छत्तीसगढ  के  सब्बो  गॉव ।

धान - सैकमी  कहिथें एला किसम-किसम  के  होथे धान ।
हरियर - हरियर  लुगरा  पहिरे  छत्तीसगढ के  सब्बो गॉव ।

हर  पारा  म  सुवा -  ददरिया  राग   सुनावत   रहिथे  ओ ।
संझा - कन जस गीत ल गाथे  छत्तीसगढ  के  सब्बो गॉव ।

भिनसरहा  ले  गॉव के फेरी भजन - मण्डली  करथे  रोज ।
देश   के  पोटा  म  लुकाय  हे  छत्तीसगढ   के  सब्बो  गॉव ।

'शकुन' जगावव सबो गॉव ल गॉव म  बसथे  भारत  मोर ।
खनखनखनखन धान उगलत हे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।