ग्यारह
चुप्पे - चुप आ जा तयँ अँखियन म निंदिया आ जा तयँ आ जा आ जा
नोनी ल संग म सुता ओ निंदिया झटकुन तयँ आ जा आ जा ओ आ जा ।
जमुना के तीर म कदम्ब के रुख हे
नोनी ल झुलना झुला जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
तस्मै चुरे हे वृन्दा - वन म
नोनी ल घला खवा जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
कान्हा के बंसरी बाजत हावय
नोनी ल बंसी सुना जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
वृन्दा- वन म रास - रचत हे
नोनी ल गोपी बना जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
बारह
चुप्पे - चुप आ जा तयँ अँखियन म निंदिया आ जा तयँ आ जा आ जा
नोनी ल संग म सुता ओ निंदिया झटकुन तयँ आ जा आ जा ओ आ जा ।
जमुना के तीर म कदम्ब के रुख हे
नोनी ल झुलना झुला जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
तस्मै चुरे हे वृन्दा - वन म
नोनी ल घला खवा जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
कान्हा के बंसरी बाजत हावय
नोनी ल बंसी सुना जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
वृन्दा- वन म रास - रचत हे
नोनी ल गोपी बना जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा
बारह
नोनी ल लोरी सुना
नोनी ल लोरी - सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
अँचरा-- ओढा के सुता ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।
नोनी ह दिन - भर खेलिस - कूदिस हे
अंगना अऊ परछी ल एक करिस हे ।
नवा बल - बुध देहे आ ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
अँचरा - ओढा के सुता ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।
तोर - गोड झन बाजय धीरे - धीरे आबे
सुरुज ऊए के आघू झटकुन तयँ आबे ।
किस्सा - कहानी सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी ल लोरी सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।
तेरह
बेंदरा होथे बिकट नकलची
हुप - हुप - हुप - हुप बेंदरा आए हे
आमा - रुख म वो - हर लुकाए हे ।
पक्का - पक्का - आमा खात हे
आऊ वो ह मोला बिजरावत हे ।
वो गबर - गबर आमा खावत हे
मोर - मुँह - बिकट पंछावत हे ।
एक - ठन बरात के आइस सुरता
खावत रहे हवँ मयँ हर भइरता ।
डोकरा - बबा हर बात - बताइस
बता - बता के बिकट - हॉसिस ।
"बेंदरा - होथे बिकट - नकलची
गोठ बतात हवँ सच्ची - मुच्ची ।"
तुरते - बात समझ म आ गे
बबा के गोठ के सुरता आ गे ।
मयँ - बेंदरा ल कोहा - मारेंवँ
कोहा मार के मयँ हर भागेंव ।
ओ हर तुरते आमा म मारिस
कई - कई ठन आमा म मारिस ।
मीठ - मीठ आमा मैं हर पायेंव
मन- भर आमा मयँ हर खायेंव ।
बबा के गोठ म हावय - दम
पुरखा के पॉव - परव हरदम ।
सियान के गोठ ल कान म सुन
बड - मिठास हे मन म गुन ।
चौदह
धौंरी गाय आही
धौंरी - गाय ह आही
बछरू ल पियाही ।
पाछू - फेर दुहाही
गोरस ल तिपोहवँ
दुलरू ल पियाहवँ ।
तयँ हर पल्ला भागबे
लउहा - लउहा बाढबे ।
तयँ मदरसा - जाबे
पढ - लिख के आबे ।
फेर रायपुर म पढाहवँ
मास्टर तोला बनाहवँ ।
सब झन ल तयँ पढाबे
तयँ हर गुरुजी बनाबे ।
तैं पसरा - रुपिया पाबे
गॉव ल झन - भुलाबे ।
सिध्द - बावा मेर जाबे
मूढ ल तयँ ह नवाबे ।
तयँ सब के काम आबे
अपन नाव - कमाबे ।
मोर - अँचरा उजराबे
उज्जर -जस तयँ पाबे ।
पन्द्रह
अभी झट के सुतबो
अभी झट के सुतबो
भिनसरहा कन उठबो ।
जब नहा - धो के आबो
चीला - चटनी - खाबो ।
पहाडा - याद - करबो
मदरसा - हम - जाबो ।
मन - लगा के पढबो
मेहनत अब्बड करबो ।
पढ लिख के जब आबो
दार अऊ भात खाबो ।
धौंरी- गाय तीर जाबो
वोला खिचरी खवाबो ।
धौंरी ह गो - रस दीही
मोर नोनी हर पीही ।
फेर पल्ला दौंड लगाही
ईनाम- जीत के आही ।
आ रे निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा दे रे ।
मोर नोनी थके हावय
लउहा - लउहा आ रे ।
सोलह
जब नहा - धो के आबो
चीला - चटनी - खाबो ।
पहाडा - याद - करबो
मदरसा - हम - जाबो ।
मन - लगा के पढबो
मेहनत अब्बड करबो ।
पढ लिख के जब आबो
दार अऊ भात खाबो ।
धौंरी- गाय तीर जाबो
वोला खिचरी खवाबो ।
धौंरी ह गो - रस दीही
मोर नोनी हर पीही ।
फेर पल्ला दौंड लगाही
ईनाम- जीत के आही ।
आ रे निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा दे रे ।
मोर नोनी थके हावय
लउहा - लउहा आ रे ।
सोलह
भुइयॉ महतारी झूलना ए
भुइयॉ - महतारी ह झुलना ए
वो हर दिन - रात - झूलाथे ।
पता नइ चलय सुख के दिन ह
कऊखन आथे कऊखन जाथे ।
नोनी तयँ धरती - दायी कस
सब्बो दुख ल गट - गट पीबे ।
फेर सब झन ल तैं सुख देबे
तयँ सब के पीरा - हर लेबे ।
तोला मैं बेटा - कस पोंसिहवँ
जतका पढबे तोला पढाहवँ ।
तोर हर सपना पूरा करिहवँ
लोरी - गा के तोला सुताहवँ ।
तैं ह गॉव म स्कूल - खोलबे
जम्मो - झन ल तहीं पढाबे ।
अपन गॉव के सेवा करबे
गॉव के जस ल तहीं बढाबे ।
सुंदर सरिख छोकरा देख के
कर देहवँ मैं तोर - बिहाव ।
तोर जिनगी ह सुख म बीतै
मन म रहै सदा शुभ - भाव ।
सत्रह
धरती - माई के झूलना म
धरती - दायी के झूलना म
सुत जा रे मोर राधा - रानी ।
देख सुनावत हवँ मयँ तोला
अपने मुँह म अपन कहानी ।
मैं हर पढे - लिखे नइ पायेंव
जिनगी भर मैं दुख पाए हौं ।
तोला मैं हर बिकट पढाहवँ
खेती के सब हुनर- बताहवँ ।
तयँ खेती - वैज्ञानिक बनबे
भारत के तयँ सेवा करबे ।
गॉव - गॉव म तयँ हर जाबे
हर गरीब के पीरा - हरबे ।
सब ल मिलै दार अऊ भात
सब्बो घर म होवय - गाय ।
गो - रस ह अमृत ए नोनी
सब के घर म गाय बंधाय ।
मनखे गाय ल थोरे पोंसथे
गाय पोंसथे एक परिवार ।
मोर सपना तैं ह सच करबे
चमकाबे सब खेत - खार ।
अठारह
देख सुनावत हवँ मयँ तोला
अपने मुँह म अपन कहानी ।
मैं हर पढे - लिखे नइ पायेंव
जिनगी भर मैं दुख पाए हौं ।
तोला मैं हर बिकट पढाहवँ
खेती के सब हुनर- बताहवँ ।
तयँ खेती - वैज्ञानिक बनबे
भारत के तयँ सेवा करबे ।
गॉव - गॉव म तयँ हर जाबे
हर गरीब के पीरा - हरबे ।
सब ल मिलै दार अऊ भात
सब्बो घर म होवय - गाय ।
गो - रस ह अमृत ए नोनी
सब के घर म गाय बंधाय ।
मनखे गाय ल थोरे पोंसथे
गाय पोंसथे एक परिवार ।
मोर सपना तैं ह सच करबे
चमकाबे सब खेत - खार ।
अठारह
निंदिया रानी आवत हे
निंदिया - रानी आवत हे लोरी तोला सुनावत हे
बडे - बिहिनियॉ उठ जाबे तयँ कुकरा - हॉक पारत हे ।
लाली - गाय के दूध पियाहवँ मयँ हर राधा - रानी ल
फेर अँगना म खेलबे तयँ ह सुनिहवँ तोतरी बानी ल ।
थोरिक - बेर म तेल चुपर के मयँ हर तोला नहवाहौं
फेर अँगोछ के ओन्हा तोला सुघ्घर मयँ हर पहिराहौं ।
अँगरा - रोटी खा के तैं हर रोज पढे बर स्कूल जाबे
पढ लिख लेबे तभे तैं ह दुनियॉ भर म नाव - कमाबे ।
तोला मैं ह बिकट पढाहौं भले बेचा जावै मोर - गहना
मेहनत म सुख के डेरा हे बस अतके हावै मोर कहना ।
पढ - लिख के तैं मोला पढाबे मोर गुरु तैं ह बन जाबे
ज्ञान - अँजोर तहीं बगराबे सरी गॉव म नाव कमाबे ।
उन्नीस
गाय कहिथे - मॉ - मॉ
गाय - कहिथे - मॉ - मॉ
बिलाई कहिथे - म्याऊँ - म्याऊँ
कुकुर कहिथे - भों - भों
कौंवा कहिथे - कॉव - कॉव ।
कोइली कहिथे - कुहु - कुहु
घुघुवा कहिथे- ऊउउ - ऊउउ
चिराई कहिथे - चीं - चीं
बेंदरा कहिथे - हुप - हुप ।
बघवा करथे - हॉव - हॉव
भेंगवा करथे - टर्र - टर्र
झेंगुरा कहिथे - चिकी - मिकी
घोडा कहिथे - हिन - हिन ।
हाथी कहिथे - चीङ्ग - चीङ्ग
मिट्ठू कहिथे - तपत्कुरु
जॉता करथे - घर्र - घर्र
ढेंकी कहिथे - छर - छर
नॉगर कहिथे - हल - हल ।
नोनी स्कूल जाही
पढ - लिख के आही ।
महूँ ल पढाही
सब ल पढाही ।
आ रे निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।
लउहा - लउहा आ तो तैं हर
नोनी मेर गोठिया रे ।
आ जा निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।
बीस
कौंवा कहिथे - कॉव - कॉव ।
कोइली कहिथे - कुहु - कुहु
घुघुवा कहिथे- ऊउउ - ऊउउ
चिराई कहिथे - चीं - चीं
बेंदरा कहिथे - हुप - हुप ।
बघवा करथे - हॉव - हॉव
भेंगवा करथे - टर्र - टर्र
झेंगुरा कहिथे - चिकी - मिकी
घोडा कहिथे - हिन - हिन ।
हाथी कहिथे - चीङ्ग - चीङ्ग
मिट्ठू कहिथे - तपत्कुरु
जॉता करथे - घर्र - घर्र
ढेंकी कहिथे - छर - छर
नॉगर कहिथे - हल - हल ।
नोनी स्कूल जाही
पढ - लिख के आही ।
महूँ ल पढाही
सब ल पढाही ।
आ रे निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।
लउहा - लउहा आ तो तैं हर
नोनी मेर गोठिया रे ।
आ जा निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।
बीस
लोरी
आ रे चिल्हरा आ रे चिल्हरा बाबू संग तयँ खेल रे
तोला कनकी देवत हाववँ बाबू - संग तयँ खेल रे ।
बोनी करे ब मैं जावत हौं संझा - कन मैं आहवँ रे
अँगरा - रोटी माढे हावय अऊ अथान के तेल रे ।
आवत - घानी दुन्नों झन बर गेडी ले के आहवँ रे
अऊ संगे संग दुन्नों झन बर ले के आहवँ बेल रे ।
समे सुकाल होही एसो तव नवा-नवा ओन्हा लेबो
नावा - नावा ओन्हा - पहिरे देखे जाबो रेल रे ।
मोर दुलरू ल बहुत - पढाहौं गहना - गूँठा बेच के
खेत ल मैं कभ्भु नइ बेंचव रखिहौं बने सकेल के ।
उपास धास बाबू ब करिहौं मोला दुरिहा ह दिखथे
उज्जर - हाथी म बइठे वो डारत हावय नकेल रे ।
बाबू सुत गे जा रे चिल्हरा कनकी ल तैं खा ले रे
बडे - बिहिनिया बाबू उठही खेले बर तयँ आबे रे ।
बोनी करे ब मैं जावत हौं संझा - कन मैं आहवँ रे
अँगरा - रोटी माढे हावय अऊ अथान के तेल रे ।
आवत - घानी दुन्नों झन बर गेडी ले के आहवँ रे
अऊ संगे संग दुन्नों झन बर ले के आहवँ बेल रे ।
समे सुकाल होही एसो तव नवा-नवा ओन्हा लेबो
नावा - नावा ओन्हा - पहिरे देखे जाबो रेल रे ।
मोर दुलरू ल बहुत - पढाहौं गहना - गूँठा बेच के
खेत ल मैं कभ्भु नइ बेंचव रखिहौं बने सकेल के ।
उपास धास बाबू ब करिहौं मोला दुरिहा ह दिखथे
उज्जर - हाथी म बइठे वो डारत हावय नकेल रे ।
बाबू सुत गे जा रे चिल्हरा कनकी ल तैं खा ले रे
बडे - बिहिनिया बाबू उठही खेले बर तयँ आबे रे ।
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