पहिली म जेन मोला पढाइस प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर
तोर करजा मैं कइसे छूटवँ प्रिया - प्रसाद गुरु जी मोर ।
अक्षर -अक्षर मोला पढाए मोर जिनगी ल तहीं बनाए
तैं मोर बर देवता - धामी अस प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर ।
रेसटीप मैं खेलवँ तोर संग तैं हर पहला टीप हो जावस
हमरे घर म रहत रहे तयँ प्रिया - प्रसाद गुरु - जी मोर ।
दायी हर तोला बेटा मानय सब झन मया करयँ तोला
आज घला सब सुरता करथें प्रिया -प्रसाद गुरुजी मोर ।
अपन गॉव म तोला देख के आज कतेक मन भभरत हे
तोर अवरदा दिन -दिन बाढय प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर ।
तोर करजा मैं कइसे छूटवँ प्रिया - प्रसाद गुरु जी मोर ।
अक्षर -अक्षर मोला पढाए मोर जिनगी ल तहीं बनाए
तैं मोर बर देवता - धामी अस प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर ।
रेसटीप मैं खेलवँ तोर संग तैं हर पहला टीप हो जावस
हमरे घर म रहत रहे तयँ प्रिया - प्रसाद गुरु - जी मोर ।
दायी हर तोला बेटा मानय सब झन मया करयँ तोला
आज घला सब सुरता करथें प्रिया -प्रसाद गुरुजी मोर ।
अपन गॉव म तोला देख के आज कतेक मन भभरत हे
तोर अवरदा दिन -दिन बाढय प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर ।
सुकवारा
सबो दौंड म मैं हर जीतवँ फेर घडा - दौंड म मैं हारवँ
खुडुवा म मैं कभ्भु नइ जीतेवँ एही दुनों म हरदम हारवँ ।
सुकवारा - जीतय दुन्नों म अऊ फेर मोला - बिजरावय
खुडुवा म मोला वो ही पटक दय एही दुनों म मैं हारवँ ।
इमला म हुँसियार रहेवँ मैं फेर मूड - पाचन लगै सवाल
बड दिन म जोड - घटाना सीखेंव गीत ल मैं बढिया गाववँ ।
गा गा के पहाडा याद करन फेर गुणा-भाग म होवय गलती
गुरु जी ह कई - घौं समझावै फेर दिमाग मैं कहॉ ले लानवँ ।
लइकई के दिन कहॉ भुलाथे चुप्पे - चुप दिन भर गोठियाथे
दिन भर संगे -संग म रहिथे कोन मेर कइसे वोला लुकाववँ ?
मनखे मन मन मुस्काथे
जेला मैं हर संगवारी - समझेंव वो दुश्मनी निभावत हे
मौनी - बावा बन के वोहर कोजनी का समझावत हे ।
हॉसत - गोठियावत जिनगी म हर सवाल ह उत्तर - पाथे
घुमना कस बइठे - बइठे वो सब्बो - बात - बिगाडत हे ।
अलवा - जलवा ओन्हा पहिरे देवदास बन के घूमत हे
समझाए ले समझत नइये मने - मन कुम्हलावत हे ।
कहॉ जा के मन अरझे हावै कलप - कलप के कटथे दिन
अकल के कोठी धरे ले का जब जिनगी सबो सिरावत हे ।
मार मया के बहुत मिठाथे मनखे मन -मन म मुस्काथे
मया भरे मनखे के मन हर महर - महर मम्हावत हे ।
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