Thursday 15 January 2015

चन्दन कस तोर माटी हे

[ लोक - धुन पर आधारित छत्तीसगढी गीत ] [ छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के सौजन्य से प्रकाशित ]



          शकुन्तला शर्मा

एकचालिस

                   भारत ल दे वरदान

भारत ल  दे वर -  दान  महादेव  भारत ल  दे वरदान ।
भारत बनय फेर महान महादेव  भारत ल  दे वरदान ।

खेती -  किसानी  अब  तहीं  बचाबे 
तहीं  देबे अब धियान महादेव भारत ल  दे वर - दान ।

गौ माता रोवत हे खाय बर नइ पावै
ओकरे ले हावै धन धान महादेव भारत ल  दे वरदान ।

बूडती  के  पूजा अडबड  करे  हन
पूजबो सुरुज - भगवान  महादेव भारत ल  दे वरदान ।

चुन - चुन के दानव के संहार कर दे 
बहँचा ले सज्जन के प्राण महादेव भारत ल दे वरदान ।

स्विस - बैंक म भारत के पैसा परे हे 
लान दे झट के हिंदुस्तान महादेव भारत ल दे वरदान ।

हिन्दी ह बिन्दी ए हिन्दुस्तान के 
हिन्दी के बढ जावय मान महादेव भारत ल दे वरदान ।

राम - राज कइसे भारत म आवय 
दे - दे  हमला  वोही  ज्ञान महादेव भारत ल दे वरदान ।


           बियालिस

         शरद - पुन्नी 

पुन्नी -  परी कुऑर के आ गे कतका सुघ्घर कहत हवय ।
नहा के आए हे गो - रस म मुच - मुच हॉसत कहत हवय ।

तमसो  मा  के  पाठ  ल  सीखव  सदाचरन के डहर चलव
नइ तो भारी बिपत म परिहव तुमन सत के शरन- गहव ।

उज्जर तन उज्जर मन राखव एही सिखोवत हौं मैं आज 
करनी के फल मिलबेच करथे सच के निमगा रहिथे राज ।

आनी - बानी के जिनिस बेचात हे तुमन ओती झन जाहौ
अपनेच  घर  म अलवा - जलवा  चुरे  हे  तौने  ल  खाहव ।

सब नदिया ल जान के गंगा  भाव ले करिहव  पूजा - पाठ 
फूल - पान झन वोमा चढाहव एही बात  बर  बॉधव गॉठ ।

सुख - चाहत हे जे मनखे ह सब के सुख चाहय सौ - बार
वेद - पुरान बखानत हावय पर - उपकार  ए सुख के सार ।

सब्बो- मनखे मन बइठे हावौ आज अपन भीतर झॉकव 
अपन- देश भुइयॉ बर तुमन का - का उदिम करत हावव ।

करव  स्वदेशी  के  पूजा अब एही म हे सब  के  कल्यान
माटी  के  महिमा ले  बनही  सोन - चिरैया - हिन्दुस्तान ।


              तिरालिस

         भोजली - गीत

देवी - गंगा  देवी - गंगा लहर तुरंगा हो लहर तुरंगा 
हमरो  देवी  - भोजली  के  भींजय  आठों -  अंगा ।
अहो देवी गंगा 

गंगा म भोजली सेराए झन जावौ सेराए झन जावौ
दुरिहा -  ले  पॉव  पर  लव अपन - मन - मढावव ।
अहो देवी गंगा 

मोर गंगा दायी के पॉव ल पखारौ जी पॉव ल पखारौ
सबो -  दुख -  हरथे जावव  वोकर  मेर - गोहरावव ।
अहो देवी गंगा 

मने मन पूजा करौ कुछु झन चढावौ कुछु झन चढावौ
इहें  बइठे  -  बइठे  भलुक  भभर  के  गोठिया - लव । 
अहो देवी गंगा 


              चवॉलिस

                ठुमरी

बैरी  तयँ  नइ आए  भिनसरहा  हो  गईस 
सुकुवा ह मोला निनासिस अऊ चल दिस ।

पलकन  के  बहिरी  ले  रस्ता  -  बहारेंव
रस्ता  म ऑखी  के  पुतरी -  दसा -  देंव  ।
दार - भात म कइसे तो करा ह पर गईस
बैरी  तयँ  नइ आए  भिनसरहा  हो गईस ।

सब्बो - संगवारी - मन झूलना - झूलत हें
सावन  म  जिनगी  के  मजा -  लेवत  हें ।
तोर - बिन जिनगी ह अदियावन होगिस
बैरी  तयँ  नइ आए  भिनसरहा  हो गईस ।


            पैंतालिस

            ठुमरी 

सावन  ह  आ गे तयँ आ जा  संगवारी 
झटकन नइ आए तव खाबे तयँ गारी ।

नदिया अऊ  नरवा  म  पूरा ह आए हे 
मोर मन के झूलना बादर म टंगाय हे ।
हरियर - हरियर हावय भुइयॉ महतारी
झटकन नइ आए तव खाबे तयँ गारी ।

बड - सूना  लागत हे सावन म अंगना 
रोवत हे रहि-रहि के चूरी अऊ कंगना ।
सुरता हर  धर के ठाढे - हावय - आरी
सावन  ह आ गे तयँ आ जा संगवारी ।


          छियालिस

            ठुमरी

बिरबिट ले करिया हे फागुन के रात 
सरसरावत  हे  कहॉ पहावत  हे रात ।

चम्पा - चमेली ओली म  बँधाय  हे
आमा के मौर ह  मोर बारा बजाय हे ।
दया मया धरे नइये उजबक हे रात
बिरबिट ले करिया हे फागुन के रात ।

मोला बिजराथे कोकम के भागत हे 
घक्खर हे वोह एको नइ लजावत हे । 
आवत हे तोर सुरता तोरेच सब बात 
बिरबिट ले करिया हे फागुन के रात ।


              सैंतालिस 

                 ठुमरी 

कोजनी -  तुमन  कब आहव  गवँतरिहा 
कुछु गलती होही तव मोला झन कइहा ।

सावन हर ए दे सूखा - सूखा चल दिहिस
भादों -  हर  मोला  बिकट - बिजराइस ।
डर लगथे मोर मन हो जावै झन हरहा 
कोजनी - तुमन कब आहव गवँतरिहा ? 

तुँहर - मिट्ठू  ह तुँहरेच नाव जपत हे
रतिहा- भर अँगना म  दिया  बरत हे । 
दिख जातेव तूँ मोला थोरिक लौछरहा
कोजनी तुमन कब आहव गवँतरिहा ?


        अडतालिस

            ठुमरी

नइ  भेजवँ  कभ्भु  मयँ तुँहला  परदेस 
सरग  ले  सुघ्घर -  हावय  मोर -  देस ।

घर  के  चॉउर -  दार  खाबो -  जुडाबो 
अलवा-जलवा ओन्हा पहिरे रहि जाबो ।
अब  कतेक  दूसर  ल  देखाना  हे  टेस
सरग  ले  सुघ्घर - हावय  मोर  -  देस । 

कहूँ के अँचरा - हर  तुँहला झन तीरय 
डर लगथे तुँहर मेर  कोनो झन अभरै ।
रक्षा  करव  ब्रह्मा  -  विष्णु -  महेस 
सरग  ले  सुघ्घर -  हावय   मोर  देस ।


                 उनचास 

                  ठुमरी

कइसे  कहँव  मयँ  हर मोर मन के बात ।
जुग - जुग कस लागत हे पुन्नी के रात ।

मोर सूना अँगना ह खॉव - खॉव करत हे 
मन  के  मोर  मैना  ह  तोला सुमरत हे । 
ऊप्पर  ले  जीव - परहा  हो  गे  बरसात
जुग - जुग कस लागत हे पुन्नी के रात ।

मन  ल  समझाथौं  फेर मानत  कहॉ  हे
कौंवा - हर  देख तो तोर  सुरता लाने  हे ।
मोला -  हॉसत  हे  बिजरावत - हे   रात 
जुग - जुग कस लागत हे पुन्नी के रात ।


                 पचास

                  ठुमरी  

कब आबे  बैरी तोर सुरता - करत  हवँ ।
तोरेच सुरता म मैं जियत - मरत  हवँ ।

सावन - महीना म प्यास नइ बुताइस 
भादो के तीजा  म तोर सुरता - आइस ।
दसरहा म आ जा देखे बर तरसत हवँ
तोरेच सुरता म मयँ  जियत मरत हवँ ।

दसरहा तो चल दिस देवारी म आ जा
एक झलक थोरकन लौछरहा देखा जा ।
सुरहुत्ती दिया - मयँ जुग-जुग बरत हौं
कब - आबे  बैरी  तोर सुरता करत हवँ ?


          इंक्यावन

    भोजली - गीत

देवी गंगा देवी गंगा लहर - तुरंगा हो लहर - तुरंगा 
हमरो  देवी -  भोजली  के  भींजय  आठो - अंगा ।
अहो देवी गंगा 

गौरी गनपति के प्रथम होही पूजा प्रथम होही पूजा
गौरी -  गनपति  असन  -   कहूँ   नइए   -   दूजा ।
अहो देवी गंगा 

हाथी के मुँहरन अऊ मुसुवा सवारी हे मुसुवा सवारी
सत्  - बुध्दि  दीही  गन -  पति  महिमा  हे  भारी ।
अहो देवी गंगा 

दायी  के  सेवा  ले  पाइन हें  मेवा हो पाइन हें मेवा
सबो  -  मनखे    करव  अपन  -  दायी   के   सेवा ।
अहो देवी गंगा                      

               

Wednesday 14 January 2015

                         एकतीस

                         ददरिया

सोला -  बछर  के  उमर  हावय  तोर 
तोरे डहर लगे रहिथे मन हरहा  मोर ।

चिरई करय चोचला फेंकत हावय फोकला
फुडहर -  डहर ।
फुडहर डहर फूँगी फेंकत हावय फोकला
फुडहर - डहर ।

आनी - बानी के सिंगार करय न
घेरी - बेरी बेनी गॉथय गोंदा - फूल खोंचय
पिचकाट अब्बड करय तेला का बताववँ ?
चिरई करय चोचला फेंकत हावय फोकला
फुडहर - डहर ।
फुडहर - डहर भैया फेंकत हावय फोकला
फ़ुडहर - डहर ।

मेला - मडई म ओ दे किंदरत हे न
रेंहचुली म झूलत हे उखरा - लाडू बिसावत हे
मोला ठेंगा देखावत मोर मन मोह लिस न ।
चिरई करय चोचला फेंकत हावै फोकला
फुडहर - डहर ।
फुडहर - डहर फूँगी फेंकत हावय फोकला
फुडहर - डहर ।


             बत्तीस

              पंथी

कइसे तोर मया के बखान करवँ ग 
पंथी गावत हाववँ संगी मोर तोरेच खातिर 
मुसकियावत हाववँ संगी मोर तोरेच खातिर ।

तोरेच खातिर मैं हर जोही तिकुली चटकाए हवँ 
तोरेच नाव के हाथ म मयँ गोदना गोदाए हवँ ।

डबडबाए  हाववँ  संगी -  मोर  तोरेच  खातिर
थथमराए  हाववँ  बैरी  मोर  तोरेच -  खातिर ।  

तोरेच -खातिर महादेव म जल मैं चढावत हवँ
सीतला दायी मेर जाके जस -गीत गावत हवँ ।

निरजला -  हाववँ  जोही  मोर  तोरेच  खातिर
दिया - बारे  हाववँ  संगी  मोर  तोरेच खातिर ।


                    तैंतीस

                    पंथी

सतनाम सार ए अमृत के धार ए 
बरने नइ जाय गुरु तोर गुन ग 
गुरु तहीं ह सिखोए हस सतनाम ग ।

करम के महिमा ल तहीं ह बताए हस 
जइसे करनी तइसे भरनी तहीं समझाए हस 
गुरु तहीं ह सिखोए हस मया - मंत्र ग 
गुरु तहीं ह अँजोरे हावस मया - दिया म ।

सरी दुनियॉ ह हमरेच तो कुटुम ए 
हमरे कुटुम ए हमरे कुटुम ए ।
सुखे - सुख ल पाहवँ कइबे मन के भरम ए 
मन के भरम ए मन के भरम ए ।
गुरु तहीं ह देखाए हावस सुख - गली ग ।

पर - उपकार के तैं महिमा बताए ग महिमा बताए 
सब के सुख म अपन सुख हे तहीं समझाए ग ।
तहीं समझाए ग तहीं समझाए  
धीरे - बानी रेंगव धरे रहव सत के डहर 
गुरु तहीं ह देखाए हावस सत के डहर ।


               चौंतीस

               भरथरी

सत - नेम के गली म रेंगे बर 
तयँ ह घर ल तजे तयँ ह जोगी बने राजा भरथरी ।

तैं ह साधू मेर गय
साधू फर ल दिहिस
रानी ल फर देहे
मन - माडिस हे  मन - माडिस हे राजा - भरथरी ।

रानी ह वोही फर ल कोटवार ल जाके दे दिस हे जी
वोही फर नर्तकी ल मिलिस
अऊ नर्तकी ह वोही फर ल राजा मेर
दरबारे म दरबारे म लान के दे दिस हे जी ।

बक खा गे राजा ह सोंचत हे ए दे का हो गे जी ।
मोह - माया तजिस  ओ दे घर ल तजिस कमंडल ल धरिस
हो गे बैरागी बन गे बैरागी राजा भरथरीSSSSSSSS ।


                   पैंतिस

                 भरथरी

ए दे नोनी पिला के जनम ल धरे तोर धन भाग ए ओ
मोर नोनीSSSSSSSSSSSSSSSSS
तैं ह बेटी अस मोर तैं ह बहिनी अस मोर संगवारी अस मोर 
महतारी अस महतारी अस मोर नोनीSSSSSSSSSSSSS

लइका - ल  कोख  म ओही  धरथे  भले  ही पर धन ए
मोर नोनीSSSSSSSSSSSSSSSSSS
सब ल मया दीही भले पीरा - सइही भले  रोही - गाही
ओही डेहरी म ओही डेहरी म -  मोर नोनीSSSSSSSS

पारस - पथरा  ए  जस  ल  बढाथे  मइके  के ससुरे के
मोर नोनीSSSSSSSSSSSSSSSSSS
ओला झन हीनव ग ओला झन मारव ग
 थोरिक सुन लेवव ग गोहरावत हे गोहरावत हे मोर नोनीSSS


                     छत्तीस

              मँडवा - गीत 

हरियर - मँडवा म सातो - दायी आइन 
के सबो झन दिहिन हें असीस ओ गौरी
सबो - झन दिहिन हें - असीसे ...........।

कइना  बड - भागी  ल सब्बो सँहरावत हें
के  जीयय  वो  लाख -  बरीसे ............ ।

मउहा पान के मँडवा अऊ आमा के तोरन
ले  सुघ्घर - दिखत  हे अँगना .............।

कइना  ल  धर  के  सुआसीन - आइन 
के सुमिरत हे गौरी - गनेशे ................।

बंस -  बढाए -  बर -  बिहाव  ह  होथे
के बॉस - पूजा होही आघू ..................।

माटी के महिमा ल सब्बो झन जानव 
के चूल - माटी खने बर जावव ...........।

मँडवा  म  दसों - दिशा  के  महात्तम
के शुभ - शुभ होय सब काज.............।

मँडवा के लाज ल तुहीं मन राखिहव
के जनम सफल होइ जाय ओ गौरी 
जनम सफल होइ जाय...................।


              सैंतीस

           सोहर

लछमी धरिस हावय पॉव मोरे अँगना 
गाहवँ मैं तो सोहर आज मोरे ललना ।

मुटुर - मुटुर देखत हावय मोर नोनी 
शुभदा आए हावय कर दिस- बोहनी ।
टोर दिहिस हावय मोर सब्बो बँधना
गाहवँ मैं तो सोहर आज मोरे ललना ।

बडे  होही तहॉ वोहर चोनहा - करही
नोनी ह मोर अँगठी - धर  के  रेंगही ।
कोरा म तोला झुलाहवँ  मयँ  पलना
गाहवँ मैं तो सोहर आज मोर अँगना ।

मोर  सपना  ल  ए  नोनी  पूरा करही
पढ लिख के देश के नाव उजियारही ।
नाचत गावत हावै आज मोर अँगना
गाहवँ मैं तो सोहर आज मोरे ललना ।


             अडतीस

              सोहर 

जनम लिहिन प्रभु राम हो ललना मोर घर आ के 
गावव सबो - मंगल - चार हो ललना मोर घर आ के ।
जनम लिहिन प्रभु राम 

सॉवर - सॉवर  राम  जी  के  देह  - पान  दिखत  हे 
नयना दिखत हे अभिराम हो ललना मोर घर आ के ।
जनम लिहिन प्रभु राम 

भिनसरहा - होइस  ए दे  मोर -  भाग - जागिस  हे
अवध - बनिस  मोर  धाम हो ललना मोर घर आ के ।
जनम लिहिन प्रभु राम

जग  -  मग  ले  चँदा  मोर -  अँगना  म  आगिस हे
मन  ह  होगिस  वृन्दावन  हो ललना मोर घर आ के ।
जनम लिहिन प्रभु राम 


                   उनचालिस

                     सधौरी

गौरी के दया - मया कुल - कँवल फूलही 
के  मोरो घर आही संतान हो ललना मोरो घर आही - संतान ।

नोनी होय बाबू होय दुनों के सुवागत 
के किलकारी गूँजय अँगना हो ललना मोरो घर आही संतान ।

सब्बो सौंख पुरोहवँ मैं अपन बहू के 
घर  म आवत  हे  ललना  हो  ललना घर म आवत हे ललना ।

सुख म बूडे घर ह रस्ता देखत हे के
बॉधत  - हाववँ - झूलना  हो  ललना  बॉधत - हाववँ  झूलना ।

महावीर म रोट अऊ नरियर चढाहवँ के 
सुआसीन  बाती  बर  ना  हो  ललना  सुआसीन  बाती बर ना ।

बबा वोकर घोडा बनही मैं हर दुलारिहौं के
अइसे सुख के का कहना हो ललना अइसे  सुख के का कहना ।


                     चालीस 

          सोन - चिरैया 

सोन - चिरैया  बनाबो  भारत  ल  सोन - चिरैया बनाबो ।
परदेशी - हाट ल भगाबो भारत ल सोन - चिरैया बनाबो ।

खेती - किसानी ल पहिली बचाबो 
नइ  -  डारन  जहरीला - खातू  गोबर - खातू  ल  डारबो ।
सोन - चिरैया बनाबो भारत ल 

गौ - माता के बने सेवा ल करबो 
गो - रस के तस्मै खाबो भारत ल सोन - चिरैया बनाबो ।
सोन - चिरैया बनाबो भारत ल 

देशीच ल खाबो देशी पहिरबो 
पूँजी  ल अपन  बढाबो  भारत  ल सोन - चिरैया बनाबो ।
सोन चिरैया बनाबो भारत ल 

आसन ल करबो प्राणायाम करबो
तन मन ल स्वस्थ बनाबो भारत ल सोन चिरैया बनाबो ।
सोन - चिरैया बनाबो भारत ल 

स्विस - बैंक के पैसा ल लहुटा के लानबो 
जूना - प्रतिष्ठा  ल  पाबो  भारत ल सोन - चिरैया बनाबो ।
सोन -  चिरैया  बनाबो  भारत  ल सोन - चिरैया  बनाबो ।


        
    



    

  




               


Tuesday 13 January 2015

गॉव डहर

कोइली के सुन के कुहुक रे आ जा राजा गॉव - डहर आ जा
रुमझुम ले सजे हावय गॉव रे देख ले तयँ एक नज़र राजा ।

नथनी बलावै बिंदिया बलावै झझकत हे झुमका के झूल रे
आ जा राजा गॉव डहर आ जा रुमझुम ले सजे हावै गॉव रे
देख ले तैं एक नज़र राजा  ।

संगी - सहेली मन गॉव म नइयें चल दे हें अपन ससुरार रे
आ जा राजा गॉव दहर आ जा रुमझुम ले सजे हावै गॉव रे
देख ले तैं एक नजर राजा । 

संगी तहीं अस जनम-जनम के तोर बिना सूना - संसार रे
आ जा राजा गॉव डहर आ जा रुमझुम ले सजे हावै गॉव रे
देख ले तैं एक नजर राजा  ।

ढाबा -  भरे हे तरिया -  भरे  हे आ गए  हे आमा  म मौर रे
आ जा राजा गॉव डहर आ जा रुमझुम ले सजे हावै गॉव रे
देख ले तैं एक नज़र राजा ।


                    बाइस

                     होरी

संग भाई लखन के राम हो राम - लला 
जीत - लिहिस गढ लंका ल ।
जीत लिहिस गढ लंका ल रामलला 
जीत - लिहिस गढ लंका ल ।

भाई - विभीषण राम के संग हे 
ठाढे हे मूड ल नवाए हो रामलला
जीत - लिहिस गढ लंका ल ।
जीत - लिहिस गढ लंका ल रामलला
जीत - लिहिस गढ लंका ल ।
संग - भाई लखन के राम हो रामलला
जीत - लिहिस गढ लंका ल ।

पुष्पक म बइठे अजोध्या आइन 
पहुँचिन दसरहा के दिन हो रामलला 
जीत - लिहिस गढ लंका ल ।
जीत - लिहिस गढ लंका ल रामलला
जीत लिहिस गढ लंका ल ।
संग - भाई लखन के राम हो रामलला
जीत लिहिस गढ लंका ल ।


                तेइस

           फुगडी 

पँचवा खेलबो नून खेलबो  खेलबो फुगडिया 
आबे - आबे  नान -  बाई  मचे  हे फुगडिया ।

फुगडी हर नँदावत हावै सुन ले ओ ननंदिया
आबे - आबे  नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

नोनी  बने  पढ  ले  तयँ छोंड - घर - घुँदिया 
आबे - आबे  नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

पुरखा - मन के जस बाढय होम कर रंधइया
आबे - आबे  नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

गॉव  के  गली  म आ  जा  गीत गा गवइया
आबे - आबे  नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

पानी गिरत हावय तयँ हर रॉध - रमकेरिया 
आबे - आबे  नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया । 

कइसन सुघ्घर दिखत हावय फूले हे चिरैया
आबे - आबे नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

बेटी  ल  बचावव बबा  सब्बो बड - बोलिया
आबे - आबे नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

मुनगा - भाजी दे न ओदे माढे हावै मलिया
आबे - आबे नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

आ जा बासी खाबो एदे भाजी हे चुनचुनिया
आबे - आबे  नान - बाई  मचे हे फुगडिया ।

तस्मै ल जुडो दे नोनी लानथौं- थरकुलिया
आबे - आबे नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।

शबरी  के  पुरखा मन ल कहिथें - शबरिया
आबे - आबे नान - बाई  मचे  हे  फुगडिया ।


                  चौबीस

                     हाट

जाबो कोसला के हाट हमुँ जाबो बहुत मजा आही न 
सिध्द-  बावा के दर्शन पाबो मन मैल हर धोवाही न ।

कोसला हर मइके ए कौशल्या - दायी के
कौशल्या - दायी  के कौशल्या - दायी के ।
राम -  जी  के  नाव  ल सुमर के ए चोला तर जाही न
जाबो कोसला के हाट हमुँ जाबो बहुत मजा आही न ।

कोसला वृन्दावन कोसला अवध ए
कोसला अवध ए कोसला अवध ए ।
इहॉ माटी के चन्दन लगाबो सद् - गति तहॉ पाबो न
जाबो कोसला के हाट हमुँ जाबो बहुत मजा आही न ।


                    पच्चीस

                गारी - गीत

धीर - लगा  के  खावव  समधी  लडुआ  भागत नइये जी 
चपर - चपर मुँह बाजत हावय अँचो लेवव अब भइगे जी ।

केरा - आलू - साग ल समधी कइसन खावत - हावव जी
समधिन  कभु  खवाए  नइये तइसन खावत - हावव जी ।

हँडिया भर - भर खावत - हावय कइसन ररहा हावय जी
गारी सुनत - सुनत खावत हे कइसन निरलज हावय जी ।

लाईबरी  कभु  देखे  नइ  अव  तइसन  खावत हावव जी 
नइ  भागत  ए  लाईबरी  हर  धीर  लगा  के  खावव - जी । 

गुड  के  पपची  बहुत  मिठावत हावय तुहँला समधी जी
झउहा भर - भर खा के हॉसत - भागत हावय समधी जी ।


                       छब्बीस

                          देवारी 

दिया बार लेवव संगी देवारी आ गे अब  तो  दिया बार लेवव
दिया बार लेवव संगी सुरहुत्ती आगे अब तो दिया बार लेवव ।

धन -  तेरस  के  दिन पिसान के तेरह दिया बनावव 
अंगना - दुवार म दिया बार के घर ल फेर उजियारव ।
बडे - बिहिनिया गऊ - दायी ल सबो दिया ल खवावव
दिया बार लेवव 

चौदस  के  दिन  फेर  पिसान  के चौदह दिया बनावव
घर - दुवारी  के  बाहिर  म  फेर  सबो दिया ल बारव ।
जम - भगवान के पूजा कर लव अर्पित करके आवव
दिया बार लेवव

अमावस  के  दिया  बार  के  सब  घर  ल  उजियारव
गॉव के  मन्दिर - देवालय  म  दिया  बार  के आवव ।
लक्ष्मी - दायी के पूजा कर लव काली देवी ल ध्यावव
दिया बार लेवव 


                      सत्ताइस

                  बिहाव - गीत 

सिया - राम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव 
शुभ - शुभ  होही  सब  काज गौरी - गनेश बेगि - आवव ।

मडवा म पहिली बॉस - पूजा होही कइना ल हँथवा धराव
गौरी - गनेश बेगि आवव 

चूल - माटी जाबो  माटी  ल लानबो माटी के मान बढाव 
गौरी - गनेश बेगि आवव

पाणिग्रहन  के  बेरा  होवत  हे  सुआसीन - मंगल - गाव
गौरी - गनेश बेगि आवव

वर - कइना ल असीस देवव सब आघू ले तुम दूनो- आव
गौरी - गनेश बेगि आवव

हरियर हे मँडवा हरियर हे मनवा हरियर जिनगी ल बनाव
गौरी - गनेश बेगि आवव 


                     अट्ठाइस 

                    सुवा - गीत 

नाना रे नाना मोर नहना रे ना ना 
के कब आही राम के राज 
हो सुवना कब आही राम के राज  ?
अँधरा - जुग म कतेक दिन जीबो 
कब पाबो सुख के सुराज 
रे सुवना कब पाबो सुख के सुराज ?

कब मोर मनखे ह दारू ल छोंडही
के कब खाबो हम दार अऊ भात
रे सुवना कब खाबो हम दार - भात ?
कब मोर नोनी मदरसा म पढही
छुछिंद - सुतिहवँ कब रात
रे सुवना छुछिंद - सुतिहवँ कब रात ?

नक्सल चगलत हे छत्तीसगढ ल
के रक्षा करव महाबीर
रे सुवना रक्षा करव महाबीर ।
छत्तीसगढ ल सबला बना दव
के कहूँ झन हरे पावयँ - चीर
रे सुवना कहूँ झन हरे पावयँ चीर ।


          ओनतिस

             करमा

जीव लागत हे तोर बर संगी 
आ जाते थोरिक नरवा के पार ।
घ न न न घ न न न न न न 
त र र र त र र र र  र  ।

बासी - चटनी  धर  के आहवँ -  दुनों  झन -  खाबो 
सून्ना रइही नरवा - खाल्हे मया - पीरा गोठियाबो ।
जीव - लागत हे तोर बर संगी
 थोरिक आ जाते नरवा के पार 
घ न न न घ न न न न न न 
त र र र त र र र र र ।

अभी आबे मैना तव तोर हो जाही बदनामी 
बिहाव होही असीस दीहीं सबो देवता धामी ।
जिनगी के हावय दिन - चार 
कइसे आववँ नरवा के पार ?  
घ न न न घ न न न न न न 
त र र र त र र र र र ।


            तीस 

           नाचा 

मोला सुरता आवत हे तोर 
मन हरहा हो गय हे मोर ।

मीठ - मीठ गोठिया के हँसी- ठट्ठा म भुलवार के
तयँ ह लूट लेहे मन ल मोर 
संगी थोरकन तो मोला अगोर ।
मोला सुरता आवत हे तोर 
बही थोरकन तो मोला अगोर ।
बइहा हो गय हवँ सुरता म तोर 
मन हरहा हो गय हे मोर ।
प प ग ग ग रे रे सा रे ग रे 
नि नि सा सा सा रे ग म नि ग रे ।

तयँ ह ठाढे रहे नरवा - तीर म 
मैं लुका गयँ तुरते जा के भीड म ।
तोला देखेवँ तव मैं तिरिया गयँ 
सच्ची कहवँ तव मैं थथमरा गयँ ।
तोला कइसे भुलाववँ बइहा 
मोला सुरता आवत हे तोर 
प्रान - परबस म हावय मोर ।
बैरी थोरकन तो मोला अगोर 
मोला सुरता आवत हे तोर ।
प प ध ध ध रे रे ग म रे रे 
नि नि सा सा सा रे ग म नि ग रे ।

             



     

Monday 12 January 2015

निंदिया चुप्पे - चुप आ जा

                        ग्यारह

चुप्पे - चुप आ  जा  तयँ  अँखियन  म निंदिया आ जा तयँ आ जा आ जा 
नोनी ल संग म सुता ओ निंदिया झटकुन तयँ आ जा आ जा ओ आ जा ।

जमुना के तीर म कदम्ब के रुख हे
 नोनी ल झुलना झुला जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा

तस्मै चुरे  हे वृन्दा -  वन  म
नोनी ल घला  खवा  जा  निंदिया आ जा  रे आ  जा ।
चुप्पे - चुप आ जा

कान्हा के बंसरी बाजत हावय
नोनी  ल  बंसी  सुना  जा  निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा

वृन्दा- वन  म  रास - रचत हे
नोनी  ल  गोपी  बना जा  निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा


                  बारह

        नोनी ल लोरी सुना

नोनी ल लोरी -  सुना ओ  निंदिया आ जा ओ आ जा 
अँचरा-- ओढा के सुता ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।

नोनी ह दिन - भर खेलिस - कूदिस हे 
अंगना अऊ  परछी  ल  एक करिस हे ।
नवा  बल - बुध देहे आ ओ निंदिया आ जा ओ आ जा 
अँचरा - ओढा के  सुता ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।

तोर - गोड झन बाजय धीरे - धीरे आबे 
सुरुज ऊए  के आघू झटकुन तयँ आबे । 
किस्सा - कहानी  सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी  ल  लोरी  सुना ओ  निंदिया आ  जा  ओ आ जा ।


                   तेरह

     बेंदरा होथे बिकट नकलची

हुप - हुप - हुप - हुप बेंदरा आए हे 
आमा - रुख म वो - हर लुकाए हे ।

पक्का - पक्का - आमा  खात  हे 
आऊ वो  ह  मोला  बिजरावत  हे ।

वो  गबर - गबर आमा खावत  हे
मोर -  मुँह -  बिकट  पंछावत  हे ।

एक - ठन बरात के आइस सुरता
खावत रहे  हवँ  मयँ हर  भइरता ।
डोकरा -  बबा हर बात - बताइस 
बता - बता  के  बिकट -  हॉसिस ।
"बेंदरा - होथे  बिकट -  नकलची
गोठ  बतात  हवँ सच्ची - मुच्ची ।"

तुरते -  बात  समझ  म आ  गे
बबा  के  गोठ  के  सुरता आ  गे ।
मयँ -  बेंदरा  ल  कोहा -  मारेंवँ 
कोहा मार  के  मयँ  हर  भागेंव ।

ओ  हर तुरते आमा  म  मारिस
कई - कई ठन आमा म मारिस ।
मीठ - मीठ आमा मैं हर पायेंव 
मन- भर आमा मयँ हर खायेंव ।

बबा  के  गोठ  म  हावय - दम 
पुरखा  के  पॉव  - परव  हरदम ।
सियान के गोठ ल कान म सुन 
बड  - मिठास  हे  मन  म  गुन ।


               चौदह 

     धौंरी गाय आही

धौंरी - गाय ह  आही 
 बछरू   ल  पियाही ।
पाछू -  फेर   दुहाही 
गोरस  ल  तिपोहवँ 
दुलरू  ल  पियाहवँ ।

तयँ हर पल्ला  भागबे
लउहा - लउहा बाढबे ।
तयँ  मदरसा  - जाबे 
पढ  - लिख  के आबे ।

फेर रायपुर म  पढाहवँ
मास्टर तोला बनाहवँ ।
सब झन ल तयँ पढाबे
तयँ  हर गुरुजी बनाबे ।

तैं पसरा - रुपिया पाबे
गॉव  ल  झन - भुलाबे ।
सिध्द - बावा मेर जाबे
मूढ  ल  तयँ  ह नवाबे ।

तयँ सब के काम आबे 
अपन  नाव  -  कमाबे । 
मोर - अँचरा  उजराबे
उज्जर -जस तयँ पाबे ।


          पन्द्रह

अभी झट के सुतबो

अभी   झट  के  सुतबो
भिनसरहा  कन उठबो ।
जब नहा - धो के आबो
चीला - चटनी - खाबो ।

पहाडा -  याद - करबो
मदरसा -  हम - जाबो ।
मन  - लगा  के  पढबो
मेहनत अब्बड  करबो ।

पढ लिख के जब आबो
दार अऊ  भात  खाबो ।
धौंरी- गाय तीर जाबो
 वोला खिचरी खवाबो ।

धौंरी ह  गो - रस दीही
मोर  नोनी  हर  पीही ।
फेर पल्ला दौंड लगाही
ईनाम- जीत के आही ।

आ  रे  निंदिया आ  रे
अँचरा  ल ओढा  दे  रे ।
मोर नोनी थके हावय
लउहा -  लउहा आ  रे ।


         सोलह

भुइयॉ महतारी झूलना ए

भुइयॉ - महतारी ह झुलना  ए
वो  हर  दिन - रात  - झूलाथे ।
पता नइ चलय सुख के दिन ह
कऊखन आथे कऊखन जाथे ।

नोनी तयँ धरती - दायी कस
सब्बो  दुख ल गट - गट पीबे ।
फेर सब झन ल तैं सुख  देबे
तयँ  सब  के  पीरा - हर  लेबे ।

तोला मैं बेटा - कस पोंसिहवँ
जतका  पढबे  तोला पढाहवँ ।
तोर हर सपना पूरा करिहवँ
लोरी - गा  के तोला सुताहवँ ।

तैं ह गॉव म स्कूल - खोलबे
जम्मो -  झन ल तहीं पढाबे ।
अपन  गॉव  के  सेवा  करबे
गॉव के जस ल  तहीं  बढाबे ।

सुंदर सरिख छोकरा देख के
कर  देहवँ  मैं  तोर - बिहाव ।
तोर जिनगी ह सुख म बीतै
मन म रहै सदा शुभ - भाव ।


           सत्रह

धरती - माई के झूलना म

धरती -  दायी  के झूलना म 
सुत  जा रे मोर राधा - रानी ।
देख सुनावत हवँ मयँ तोला
अपने मुँह म अपन कहानी ।

मैं हर पढे - लिखे नइ पायेंव
जिनगी भर मैं दुख पाए हौं ।
तोला मैं हर बिकट पढाहवँ
खेती के सब हुनर- बताहवँ ।

तयँ खेती - वैज्ञानिक बनबे
भारत  के  तयँ  सेवा करबे ।
गॉव - गॉव म तयँ हर जाबे
हर  गरीब  के  पीरा - हरबे ।

सब ल मिलै दार अऊ भात
सब्बो घर म होवय - गाय ।
गो - रस  ह अमृत ए नोनी
सब के घर म गाय बंधाय ।

मनखे गाय ल थोरे पोंसथे
गाय  पोंसथे एक परिवार ।
मोर सपना तैं ह सच करबे
चमकाबे सब  खेत - खार ।


            अठारह

   निंदिया रानी आवत हे

निंदिया -  रानी  आवत  हे  लोरी  तोला  सुनावत  हे 
बडे - बिहिनियॉ उठ जाबे तयँ कुकरा - हॉक पारत हे ।

लाली - गाय के दूध पियाहवँ मयँ हर राधा - रानी ल 
फेर अँगना म खेलबे तयँ ह सुनिहवँ तोतरी  बानी ल ।

थोरिक - बेर म तेल चुपर के मयँ  हर तोला नहवाहौं
फेर अँगोछ के ओन्हा तोला सुघ्घर मयँ हर पहिराहौं ।

अँगरा - रोटी खा के तैं हर रोज पढे  बर  स्कूल  जाबे
पढ लिख लेबे तभे तैं ह दुनियॉ भर म  नाव - कमाबे ।

तोला मैं ह बिकट पढाहौं भले बेचा जावै मोर - गहना
मेहनत म सुख के डेरा हे बस अतके हावै मोर कहना ।

पढ - लिख के तैं मोला पढाबे मोर गुरु तैं ह बन जाबे
ज्ञान - अँजोर तहीं बगराबे सरी गॉव म नाव  कमाबे ।


                      उन्नीस

        गाय कहिथे - मॉ - मॉ 

गाय - कहिथे - मॉ - मॉ 
बिलाई कहिथे - म्याऊँ - म्याऊँ 
कुकुर कहिथे - भों - भों
कौंवा कहिथे - कॉव - कॉव  ।

कोइली कहिथे - कुहु - कुहु
घुघुवा कहिथे- ऊउउ - ऊउउ
चिराई कहिथे - चीं - चीं
बेंदरा कहिथे - हुप - हुप ।

बघवा करथे - हॉव - हॉव
भेंगवा करथे - टर्र - टर्र
झेंगुरा कहिथे - चिकी - मिकी
घोडा कहिथे - हिन - हिन ।

हाथी कहिथे - चीङ्ग - चीङ्ग
मिट्ठू कहिथे - तपत्कुरु
जॉता करथे - घर्र - घर्र
ढेंकी कहिथे - छर - छर
 नॉगर कहिथे - हल - हल  ।

नोनी स्कूल जाही
पढ - लिख के आही ।
महूँ ल पढाही 
सब ल पढाही ।

आ रे निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।
लउहा - लउहा आ तो तैं हर
नोनी मेर गोठिया रे ।
आ जा निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।


        बीस

        लोरी

आ रे चिल्हरा आ रे चिल्हरा बाबू संग तयँ  खेल रे 
तोला कनकी देवत हाववँ बाबू - संग  तयँ खेल रे ।

बोनी करे ब मैं जावत हौं संझा - कन मैं आहवँ रे
अँगरा - रोटी  माढे हावय अऊ अथान के  तेल  रे ।

आवत - घानी दुन्नों झन बर गेडी ले के आहवँ रे
अऊ संगे संग दुन्नों झन बर ले  के आहवँ बेल रे ।

समे सुकाल होही एसो तव नवा-नवा ओन्हा लेबो
नावा -  नावा ओन्हा - पहिरे  देखे  जाबो  रेल  रे ।

मोर दुलरू ल बहुत - पढाहौं गहना - गूँठा बेच के
खेत ल मैं कभ्भु नइ बेंचव रखिहौं बने सकेल के ।

उपास धास बाबू ब करिहौं मोला दुरिहा ह दिखथे
उज्जर -  हाथी म बइठे वो डारत हावय नकेल रे ।

बाबू सुत गे जा रे चिल्हरा कनकी ल तैं खा ले रे
बडे - बिहिनिया बाबू उठही खेले बर तयँ आबे रे ।
  


   

         


    

         

Sunday 11 January 2015

चंदन कस तोर माटी हे

चंदन कस तोर माटी हे मोर छत्तीसगढ महतारी
छत्तीसगढ महतारी ओ माई छत्तीसगढ महतारी ।

तोर कोरा हे आरुग -  माई  तयँ सब के महतारी
तयँ सबके महतारी ओ माई तयँ सबके महतारी ।

धान - कटोरा  कहिथें तोला धान उपजथे  भारी
धान - उपजथे भारी ओ माई धान उपजथे भारी ।

रुख - राई मन ओखद ए सञ्जीवनी डारी - डारी
सञ्जीवनी ए डारी ओ  माई सञ्जीवनी  ए  डारी ।

असीस असन हे नरवा नदिया पलथे खेती-बारी
पलथे  खेती - बारी ओ  माई  पलथे खेती - बारी ।

शीतला - माई रोग - शोक ले करथे तोर रखवारी
करथे  तोर रखवारी ओ माई करथे तोर रखवारी ।

नक्सल ह दुर्दशा करत हे पूजत हे धर के आरी
पूजथे धर के आरी ओ माई पूजत हे धर के आरी ।

असुर -  बिदाई  कर  दे माई पावन रहय दुवारी
पावन रहय दुवारी ओ  माई  पावन रहय  दुवारी ।

चंदन कस तोर माटी हे मोर छत्तीसगढ महतारी
छत्तीसगढ महतारी ओ माई छत्तीसगढ महतारी ।


                          दू

                जस - गीत

सत् - बुध्दि अँचरा म धर के गायत्री - दायी आइस हे 
सन्मति हमला दे दे दायी सन्मति हमला देदे ओSSS

हमर गुलामी जावत नइये दायी  तयँ  कुछु  मन्तर दे
भक्ति के अमृत पिया दे दायी मोला अमृत पिया दे ओ

नोनी - मन के अब्बड -  दुर्गति  पेट म हत्या होवत हे
नोनी तोर मेर गोहरावत हे दायी तयँ  हर  सुन  ले ओ

भक्ति - भाव ले भटके हावन होवत हे भारी - अपमान 
तहीं ह धरसा बना दे  दायी  तहीं  ह  रस्ता देखा दे ओ 

खेती - किसानी बिगडे हावय जहर के खातु डारत हन 
धरती म अमृत - बरसा दे लइका - मन ल बचा ले ओ

सत् - बुध्दि अँचरा  म  धर  के गायत्री दायी आइस हे
सन्मति हमला दे दे दायी सन्मति हमला दे दे ओSSS

                            तीन

                     जसगीत

ऋतम्भरा -  प्रज्ञा आए  हे  धरे  ज्ञान  के  गठरी 
धरे ज्ञान के गठरी ओ दायी धरे  ज्ञान के  गठरी ।

स्वाहा स्वधा शची ब्रह्माणी तोरेच नाव ए  दायी
तोरेच  नाव ए मोर दायी ओ तोरेच नाव ए दायी ।

चार - वेद के तयँ जननी अस तैं सबके  महतारी
तयँ सबके महतारी ओ माई तयँ सबके महतारी ।

तोर लइका - मन भटके  हें  पगडंडी तहीं देखाबे
धरसा  तहीं बनाबे ओ दायी  धरसा  तहीं  बनाबे ।

लोभ - मोह  म  बूडे - हावन  भक्ति  कइसे  पाबो 
शरण म हमला ले- ले दायी तभ्भे हमन थिराबो ।

नभ मंडल हर तोर अँचरा ए भुइयॉ  ए तोर कोरा
भुइयॉ ए तोर कोरा ओ दायी भुइयॉ ए तोर कोरा ।

फूल - पान ले तोला रिझाहौं तोरेच करिहौं पूजा 
तोरेच करिहौं  पूजा ओ दायी तोरेच करिहौं पूजा ।

मोर मन मन्दिर म बैठे हस एही भाव ल धरिहौं
एही - भाव  ल  धरिहौं दायी एही भाव ल धरिहौं ।

                          चार

                   जसगीत

जय होवय तोर दायी जय होवय तोर
मोर गायत्री - दायी जय होवय तोर ।

मोर  गायत्री - दायी जय होवय तोर
मोर मॉ  महरानी जय - होवय  तोर ।

चारों - वेद के तयँ महतारी सब ल सन्मति दे दे
अपन शरण म ले ले दायी भाव - भक्ति तैं दे दे ।

बिनती करत हवँ  दुनों हाथ -  जोर
मोर मॉ महरानी जय  होवय  तोर ।

सब ल सुख देथे  दायी हर सब के  -  भय हर लेथे
सब के पालन पोषण करथे सुख- आनन्द ल देथे ।

लीपे  हाववँ सब अंगना -  खोर
अगोरत हावौं सुध ले ले मोर ।

जय होवय जय होवय जय होवय तोर
मोर गायत्री - दायी जय  होवय  तोर
मोर गायत्री दायी जय होवय तोरSSS ।


                     पांच                  

       पूजा करबो नेवरात म

ऋतम्भरा - प्रज्ञा के पूजा करबो हम  नेवरात  म 
अनुष्ठान  हम करबो भैया जप करबो नेवरात  म ।

सब  सुख  हावय सद्बुध्दि ले पा जाबो नेवरात  म 
लइका मन के सब औगुन ल हर लेही नेवरात म ।

यज्ञ  होम श्रध्दा ले करबो सब्बो झन नेवरात म
नव -दिन ह दुर्लभ ए जेला बौरत हन नेवरात म ।

वेदमंत्र जपबो नौ दिन ले मिल जुल के नेवरात म
सत के रस्ता म हम रेंगबो नौ दिन ले नेवरात म ।

दायी  के  मडवा म रहिबो आ गए हन नेवरात म 
जिनगी जगर मगर हो जाही भासत हे नेवरात म ।

                        छः

           मोर दायी महरानी 

कइसे तोला मनाववँ कइसे जस गाववँ महरानी
गायत्री दायी कइसे तोर जस गाववँ ओSSSSS ।
मोर मॉ महरानी कइसे तोर जस गाववँ ओSSS 
गायत्री दायी कइसे तोर जस गाववँ ओSSSSS ।

अब्बड -ऊँच हे तोर सिंहासन मोर ऑखी म पानी
कइसे मैं  तोर मंतर पढिहँव नइए भाखा - बानी ।
कइसे तोर दर्शन पाहवँ मयँ मोर दायी - महरानी
मोर दायी महरानी ओ दायी मोर दायी महरानी ।

हंस - सवारी तैं हर करथस उज्जर हे तोर अंचरा
चार -  वेद के दायी तैं हर हावस अजरा - अमरा ।
कइसे तोर महिमा म गाववँ कइसे देववँ - पानी
कइसे मयँ तोर दर्शन पाववँ मोर दायी महरानी ।


                         सात

          भारत के भाग जगाही 

मोर गायत्री दायी हर भारत  के  भाग - जगाही 
संतन के रक्षा करही अऊ असुर ल पाठ- पढाही ।

स्वाहा स्वधा शची कल्याणी गायत्री ल कहिथें
सब झन पूजा - पाठ ल करथें चालीसा ल पढथें ।
सब ल सन्मति देही - दायी बिगडी सबो बनाही
गायत्री - दायी आकस हे भारत के भाग जगाही ।

चौबीस - अक्षर के मंतर म हावय अद्भुत क्षमता
अष्ट - सिध्दि  देथे  गायत्री हर लेथे हर - जडता ।
सत के गली म रेंगव सबो जनम सफल हो जाही
गायत्री - दायी आकस हे भारत के भाग जगाही ।

अपन सुधार जमो-झन करहीं तभे नतीजा आही
हर मन म देवत्व उपजही धरा सरग बन जाही ।
भारत सोन चिरैया बनही दुनियॉ के गुरु कहाही
गायत्री - दायी आकस हे भारत के भाग जगाही ।


                       आठ

            दिया बार के बइठे हौं

दिया - बार के  बइठे  हवँ  मोर  देवी -  दायी आही 
प्रेम से मोर संग गोठियाही मोला सन्मार्ग देखाही ।

आदि- शक्ति ए मोर दायी हर सबो सामरथ - वाली
समाधान  तुरते मिलथे  जब आथे कोनो  सवाली ।
जे मनखे सुमिरन करही तेन सब - वैभव ल पाही
दिया - बार  के  बइठे  हवँ  मोर देवी - दायी आही ।

आठ - सिध्दि अंचरा म लाने हावय मोर महतारी
सद्विचार - सत्कर्मन के महिमा हावय बड - भारी ।
जेन देवी - दायी  मेर आही  मोक्ष - द्वार  पा जाही
दिया - बार  के  बइठे  हवँ मोर देवी - दायी आही ।

चालीसा के पाठ ल कर लौ माला घलाय जप लव
प्रेम से वोकर पूजा कर लौ अनुष्ठान सब कर लव ।
जब तन तप म तप जाही तौ दायी फल बरसाही 
दिया -  बार के बइठे हवँ  मोर देवी - दायी आही ।



                        नव

                नेवरात आ गे

दिया बार लेवव संगी नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव 
दायी  ल  परघा लव नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव ।

नेवरात -  कहत  हे  सब्बो  -  झन  ल  महतारी  ल  ध्यावव
दायी  के  पूजा  कर  लव  जप -  तप  म  ध्यान -  लगावव ।
अनुष्ठान करव संगी नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव
दिया बार लेवौ संगी नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव ।

मोर -महतारी -  दायी  के  बहिनी अडबड -  महिमा  हावय
जेला  सत्  -  विचार  पाना  हे  महतारी -  तीर   म  आवय ।
दुनों लोक ल सुधारौ नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव
दिया बार लेवौ संगी नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव ।

मुनि - मन - गायत्री - मंतर  म  अनुपम रहस्य  ल   पाइन
महतारी अनगिन  महिमा  ल  फेर  वेद  - पुराण  बखानिन ।
चालीसा गावव संगी नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव
दिया बार लेवौ संगी नेवरात आ गे अब तो दिया बार लेवव ।


                          दस

             गायत्री मन्दिर जाबो

नेवराते  म  महतारी  -  दायी  ल  हम  परघाबो
नहा धो के भिनसरहा ले गायत्री- मन्दिर जाबो ।

गायत्री  के  चौबीस - अक्षर  के भारी महिमा  हे
ओकरे पूजा ले जिनगी म गौरव अउ गरिमा  हे ।
गायत्री  -  मन्तर  जपबो चालीसा ल  दोहराबो
नहा धो के भिनसरहा ले गायत्री- मन्दिर जाबो ।

दायी उज्जर -ओन्हा पहिरे करथे हंस - सवारी
मन के मैल ल धोथे उज्जर करथे मोर महतारी ।
एती - तेती नइ भटकन महतारी मेर हम जाबो
नहा - धो के भिनसरहा ले गायत्री मन्दिर जाबो ।

चार -  वेद के  महतारी  ए  मोर  गायत्री -  दायी
आठ - सिध्दि अँचरा म धर के लाने हे सुखदायी ।
महतारी के शरण म जा के गायत्री - गुन - गाबो
नहा - धो के भिनसरहा ले गायत्री - मंदिर जाबो ।



 

                     



Friday 9 January 2015

छत्तीसगढी गज़ल संग्रह- बूड मरय नहकौनी दय

                    

                        [ छत्तीसगढी गज़ल संग्रह ]

                                        शकुन्तला शर्मा


अंतस के गोठ

ब्रज - अवधी  सरिख  छत्तीसगढी  बन  जातिस
सूर -  तुलसी  सरिख  साहित्य  हमला रचना हे ।

मैथिली  ल  विद्यापति  जैसे अमर  बना दिहिस
वोही  ढंग  के  भगीरथ - प्रयास हमला करना हे ।

चार - वेद पढतेंव  छत्तीसगढी  म मोर मन हावै
उपनिषद  के  घलाव अनुवाद हमला  करना  हे ।

चाणक्य - विदुर - नीति पढतेन छत्तीसगढी  म
छत्तीसगढ तिजौरी ल मनी मानिक ले भरना हे ।

    दुष्यन्त कुमार के हिन्दी गज़ल के सूत्रपात हर 1970 के दशक म होय रहिस हे , तेकर दस बरिस बाद सन 1980 के दशक म , कई ठन ऑचलिक भाखा म 'गज़ल' लिखे के शुरुआत होइस , वोही बखत छत्तीसगढी म घलाव 'गज़ल' लिखे गईस । शोध - ग्रन्थ के अनुसार छत्तीसगढी के पहिली गज़लकार डा. विनय पाठक हर ए ।

" तोर मन सोंहारी मोर मन बरा
मया तेल छींटा बिन सरही मोर नुनचरा ।

तोर मन बाती अऊ मोर मन तेल
तोर बिन गोई मोर जिनगी ए जेल ।"
                             डा. विनय पाठक

छत्तीसगढी म 'गज़ल' तो बहुत लिखे जात हे फेर छत्तीसगढी हर 'गज़ल' के आत्मा ल धरिस हे अऊ वोही धरसा म रेंगत चले जात हे अब देखव " बूड मरय नहकौनी दय " के 'गज़ल' हर पढइया मन ल बने लागिस के नहीं , तेला तो वोही मन बताहीं । 'गज़ल' के धार हर अपन रस्ता ल खुद बनाथे , तेकरे सेती तो साहित्य म नित नवा - नवा प्रयोग होवत चले जात हे । एमा कहूँ के बस नइये । नदिया के धार तो आए , बॉधे के कोशिश करबे तव मेढ फोर के भागही आऊ एही वोकर विशेषता घलाव ए । हम कहॉ लिखथन कहूँ आ के हमर मेर लिखवा लेथे अऊ हमला जस दे के चल देथे । वोकर आशीर्वाद सब झन ऊपर बने रहय ।
   शकुन्तला शर्मा
छेरछेरा पुन्नी 2015     


भारत फेर विश्व - गुरु बनही

संन्यासी  हर  गद्दी  पाइस  भारत  के  तकदीर  सँवरही
सबो निहारत हें भारत ल भारत फेर  विश्व - गुरु  बनही ।

घर - घर दार -  भात अब चुरही मोर गौरी जाही स्कूल
मंगल ल  हमुँ अमर डारेन भारत फेर विश्व  गुरु  बनही ।

नोनी के सब्बो प्रतिभा के सबो लाभ ल लेवय समाज
तभे तो हिंदुस्तान निखरही भारत फेर विश्व गुरु बनही ।

देश   के सीमा  रहय  सुरक्षित महतारी के मान बढय
ए  दुनियॉ मोरेच कुटुम्ब ए भारत फेर विश्व गुरु बनही ।

देश विदेश घुमे बर जाबो रुपिया म सबो चुकाबो दाम
जग चौंरा जुगजुग ले बरही भारत फेर विश्व गुरु बनही ।
  

जन - जन ल जागे बर परही

भिनसरहा हो गय हे भैया जागव उठव करव अब काम
देश तरक्की करही लेकिन जन - जन ल जागे बर परही ।

सबके हित म मोरो हित हे सब झन ल एही समझना हे
दुनियॉ हर परिवार ए हमरे जन - जन ल जाने बर परही ।

महतारी  के  मान  बढाबो  करबो  देश  के  हित म काम
तभे  देश  हर आघू  बढही  जन - जन  ल जागे बर परही ।

अपन - बिरान ल छोडव भाई सब के हित  म बुता करव
तभे हमर तकदीर सँवरही जन - जन ल जागे  बर  परही ।

भारत ऋषि - मुनि के धरती ए दुनियॉ भर ल पाठ पढाथे
दुनियॉ फेर निहारत हावय जन - जन ल जागे  बर परही ।

          नोनी हर रमजावत हावय

कतका गुन ल धरे पेट म हर नोनी ह अकुलावत हावय
देश तरक्की पातिस लेकिन नोनी  ह रमजावत हावय ।

नोनी चन्दन के लकरी कस महर -  महर मम्हावत हे 
गुन  के  कोनो कदर कहॉ हे नोनी  ह रमजावत हावय ।

वोकर - गुन ह अवगुन बन गे जेकर लाठी तेकर भैंस 
घर  म  राक्षस  बइठे  हावय  नोनी ह रमजावत हावय ।

हिंसा ले नोनी नइ बॉहचय अइसे निरदई हमर समाज 
नोनी - कती  कहूँ  नइ बोलयँ नोनी ह रमजावत हावय ।

वोकर जिनगी गिरवी हावय कम्प्यूटर कस बौरावत हे 
वोकर जिन्दगी वोकर नोहय नोनी  ह रमजावत हावय ।

देवता धामी भाव म बसथे

मन के  श्रध्दा  हर  पूजा  ए  देवता - धामी  भाव म बसथे
कुछु जिनिस के जरुरत नइये देवता धामी भाव म बसथे ।

फूल ले फर ले अऊ नरियर ले देवता धामी खुश नइ होवयँ
प्रेम से वोकर मेर गोठियावव देवता धामी भाव म बसथे ।

नदिया के जब पूजा करथव  फूल - पान वोमा झन डारव
दिया बोहावव झन नदिया म देवता धामी भाव म बसथे ।

सोन - चांदी रुपिया - पैसा ले देवता-धामी ल का मतलब
वोहर खुद वैभव के स्वामी देवता -  धामी भाव म बसथे ।

भगवान भाव के भुखहा हावै धन -  दौलत ल का  करही
मया - प्रेम ले वोला रिझावव देवता धामी भाव म बसथे ।

         फोकट म अधिकार नइ मिलय

आज़ादी  का  फोकट  मिल  गे कतका बड कीमत चुकाय हन 
आजो  लहू  चढावत  हावन  फोकट  म अधिकार नइ मिलय ।

हक  नइ  मिलय  सजे - थारी  म  लडना   परथे  बडे - लडाई
लूट  के  लेना  परथे  हक  ल फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

मान - सरोवर   कहॉ   गँवा  गे  अब  वोला हम  कइसे पावन
ड्रैगन  के  जबडा  ले  लानव  फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

राणा - प्रताप  हर  लडिस  लडाई  कतका दुख पाइस परिवार
भामाशाह मिलिस फेर वोला फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

बहिनी  -  मन अब आघू - आवव अपन हक़- बर करव लडाई
भाई - मन  के  हाथ ले लूटव फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

            गुटखा पान कहूँ झन खावव

भारत - माता   ल  सजाए  बर  देना  परही  अब  कुरबानी 
महतारी के मान - बढावौ गुटखा - पान  कहूँ  झन  खावव ।

पचर - पचर थूकत हावैं सब कहॉ ले भारत  सुघ्घर  दिखही
मुँह म थोरिक लगाम लगावौ गुटखा पान कहूँ झन खावव ।

नान- नान लइका - मन मुँह म गुटखा - माखुर भरे - भरे हें
बोहाथे बचपन तेला बचावौ गुटखा - पान कहूँ झन खावव ।

सुघ्घर - सफ्फा  रहय  देश  हर  ए  सब  के  जिम्मेदारी ए 
मुँह ल तो पहिली उजरावव गुटखा पान  कहूँ  झन  खावव । 

देश  के  हित  सब  ले  आघू  हे उद्योगी - मन  देवयँ ध्यान 
देश ल सुघ्घर स्वच्छ बनावौ गुटखा पान कहूँ झन खावव ।   


Thursday 8 January 2015

प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर

पहिली म जेन मोला पढाइस प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर
तोर करजा मैं कइसे छूटवँ प्रिया - प्रसाद गुरु जी मोर ।

अक्षर -अक्षर मोला पढाए मोर जिनगी ल तहीं बनाए
तैं मोर बर देवता - धामी अस प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर ।

रेसटीप मैं खेलवँ तोर संग तैं हर पहला टीप हो जावस
हमरे घर म रहत रहे तयँ प्रिया - प्रसाद गुरु - जी मोर ।

दायी हर तोला बेटा मानय सब झन मया करयँ तोला
आज घला सब सुरता करथें प्रिया -प्रसाद गुरुजी मोर ।

अपन गॉव म तोला देख के आज कतेक मन भभरत हे
तोर अवरदा दिन -दिन बाढय प्रियाप्रसाद गुरुजी मोर ।

                     सुकवारा

सबो  दौंड  म  मैं  हर  जीतवँ  फेर  घडा - दौंड  म  मैं   हारवँ 
खुडुवा म  मैं कभ्भु  नइ  जीतेवँ  एही  दुनों म  हरदम हारवँ ।

सुकवारा - जीतय  दुन्नों  म  अऊ  फेर  मोला -  बिजरावय 
खुडुवा  म  मोला  वो  ही पटक  दय  एही  दुनों  म  मैं हारवँ ।

इमला  म  हुँसियार  रहेवँ  मैं  फेर  मूड - पाचन लगै सवाल
बड दिन म जोड -  घटाना सीखेंव गीत ल मैं बढिया गाववँ ।

गा गा के पहाडा याद करन फेर गुणा-भाग म होवय गलती
गुरु जी ह कई - घौं समझावै फेर दिमाग मैं कहॉ ले लानवँ ।

लइकई के दिन कहॉ भुलाथे चुप्पे - चुप दिन भर गोठियाथे 
दिन भर संगे -संग म रहिथे कोन मेर कइसे वोला लुकाववँ ?

          मनखे मन मन मुस्काथे

जेला  मैं हर संगवारी - समझेंव वो दुश्मनी  निभावत  हे 
मौनी - बावा  बन  के  वोहर  कोजनी  का समझावत  हे ।

हॉसत - गोठियावत जिनगी म हर सवाल ह उत्तर - पाथे
घुमना कस बइठे - बइठे  वो सब्बो -  बात - बिगाडत  हे ।

अलवा - जलवा ओन्हा  पहिरे  देवदास  बन  के घूमत हे 
समझाए ले  समझत  नइये  मने - मन  कुम्हलावत  हे ।

कहॉ जा के मन अरझे हावै कलप - कलप के कटथे दिन
अकल के कोठी धरे ले का जब जिनगी सबो सिरावत हे ।

मार मया के बहुत मिठाथे मनखे मन -मन म मुस्काथे
मया  भरे  मनखे  के  मन  हर महर - महर मम्हावत हे ।

ओरिया चूहत हावय ओदे

झिमिर - झिमिर पानी बरसत हे पानी - बादर आ गे रे
खपरा  नइ  लहुटाए  पायेंव  सावन -  भादो आ  गे  रे ।

ओन्हा बने सुखावत नइये गोमसुर - गोमसुर लागत हे
ऑखी- कान ल मूँद के गरमी पल्ला- तान के भागै  रे  ।

नांगर -  बैला के दिन आ गे बिजहा - भतहा देखव  तो 
भिंदोल  घला  लउहा  लेवत  हे सावन - भादो आ गे रे ।

गोबर - खातू  डारव आवव  धान के बिजहा बोवव अब
खन - खन ले फेर धान ल पाबो बादर - पानी आ गे रे ।

ओरिया - चूहत हावय ओदे लइका - मन  इतरावत हें
'शकुन' अघावय  हर मनखे  ह बादर - पानी आ गे  रे ।

                      दायी

भिनसरहा ले सुरुज किरन कस 
घर  म  अँजोर - बगराथे दायी ।

सब - झन  बर फेर फरा बना के
सब  झन  मेर  अमराथे  दायी ।

भभर - भभर  के सब ल खवाथे
खुद  लॉघन  रहि  जाथे  दायी ।

मन म कतको बड  दुख  होवय
हॉसत- गोठियावत रहिथे दायी।

छोकरी  के  बिहाव  -  करना  हे
जोरत   हे  पाई  -  पाई   दायी ।

       बिन बेटी सूना हे अंगना

बेटी बहिनी के जानव महिमा बिन बेटी सूना हे अंगना
समरसता ल वोही सिखोथे बिन बेटी सूना  हे अंगना ।

घरवाला के लइका - मन के सब ले आघू करते जोखा
बॉहचे -खुँचे ल खुद खा लेथे बेटी बिन सूना हे अंगना ।

कॉटा खूँटी जोर-जोर के करलई करके बनाथे कुन्दरा
होम देथे फेर सरी जिन्दगी बेटी बिन सूना  हे अंगना ।

अपढ हावै भले बिचारी फेर कुटुंब के किस्मत लिखथे
वोहर जस कभ्भु नइ पावय बेटी बिन सूना हे अंगना ।

हपटत - गिरत तीरथे गाडी मञ्जिल तक अमरा देथे 
गौ-गरुआ कस पेरथे जॉगर बेटी बिन सूना हे अंगना ।

         मोर दायी ए लक्ष्मी दायी 

मुसुवा घर म भूख मरत हे फेर धान कहॉ पा जाथे दायी 
भात - साग रोजे खावत हन मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी ।

साग बिसाय ब पैसा नइये फेर खाथन हम रोजेच  साग
मुनगा -  भाजी रोज रॉधथे मोर दायी ए लक्ष्मी -  दायी ।

बनी  करे  बर  जाथे  दायी  टुकनी  म  फेर धान लानथे
तुरते  फेर  ढेंकी  म  कूटथे  मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी ।

देवारी  के  दिन  खीर बनाथे वोही मोला बिकट मिठाथे
बॉट-बॉट के खाथन सब झन मोर दायी ए लक्ष्मी दायी । 

मैं अऊ नोनी स्कूल जाथन स्कूल ले जब घर म आथन
चीला - चटनी रोज खवाथे  मोर दायी ए लक्ष्मी - दायी । 

    मोर दायी मीठ - मीठ गोठियाथे 

बिकट  मया करथे मोला अऊ रोज  मोला  स्कूल  अमराथे 
रोज कहानी मोला सुनाथे मोर दायी मीठ- मीठ गोठियाथे ।

मुर्रा  -  मुराई  लाने  हावय  घाम  म  बैठे  मैं  खावत  हवँ 
गो - रस चुरो के लानत हावय मोला गो -रस बहुत मिठाथे ।

इमला म मोर गलती झन होय बनै नहीं फेर कोनो सवाल
पहाडा मोला रोज रटाथे  मोर दायी  मीठ - मीठ गोठियाथे ।

छुवा-छुवौवल खेलथे मोर संग वोहर मोला बिकट छकाथे 
बड - मुश्किल म छूथौं वोला जब दौंडत -  दौंडत थक जाथे ।

एक्के  ठन  लुगरा  ल कइसे पहिरे - पहिरे दिन काटिस  हे
चिरहा अँचरा कहॉ दिखत हे कोजनी कतका बेर बटियाथे ?       


 
 


Tuesday 6 January 2015

अन्ना के ऑधी

अन्ना  के ऑधी  ह  सब  ल  हलावत  हे
आहीं -  बाहीं  देखत  सरकार डेरावत  हे ।

हजार  हाथी के बल हे सच्चाई म सिरतो
निरलज - दुशासन ह सब ल सतावत हे ।

कुण्डली  मारे  बइठे  हे साठ बरिस हो गे
महंगाई के कोडरा म मनखे ल मारत हे ।

कलजुग ह राजा के मूड  भीतर खुसरे हे
जनता  ह अन्ना  ल बापू कस मानत हे ।

अन्ना  तैं  रेंग ग तोर पीछू - पीछू हावन
'शकुन' सरी जनता राजा ल बखानत हे ।

     जयप्रकाश फेर रो डारिस 

जलिया  वाला बाग म ए दे  डायर  दहिकॉदो कर डारिस 
आधा रात के सुसक सुसक के जयप्रकाश फेर रो डारिस ।

देख - रेख करही कइ  के  हम  संसद म  इनला  बैठारेन
हमरे ऊप्पर लाठी - भॉजत जें जयप्रकाश फेर रो डारिस ।

सुते निहत्था मनखे मन ल अश्वत्थामा कस मारिस हे 
"महूँ ल अइसने मारे रहिस हे"जयप्रकाश फेर रो डारिस । 

साठ - बरिस ले चुहकत हावै सरी देश ल ढेकुना -  कस 
लोकतंत्र  के  लहू  पियत  हे  जयप्रकाश  फेर  रो डारिस ।

बाबा  रामदेव  थाम्हें  हे  मोर  मशाल  ल  देखव  आज 
एही  सोच  के  खुशी  के  मारे  जयप्रकाश फेर रो डारिस ।

वीर - प्रसूता भारत - जननी ' शकुन'  बचाही प्राण हमर
छूरा - धरा  पारेन  बेंदरा  ल  जयप्रकाश  फेर  रो डारिस ।

        महंगाई सुरसा कस बाढत हे

महंगाई सुरसा कस बाढत हे जागव अब मोहन प्यारे 
भ्रष्टाचार -  सुहावत  नइये  जागव  अब मोहन प्यारे ।

खेल - खेल म कलमाडी ह लद्दी म मूडभरसा गिर गे 
'मैं नइ जानौं 'झन कहिबे तैं जागव अब मोहन प्यारे ।

दू - सौ - लाख - करोड लील दिस टू जी स्पेक्ट्रम हर
कइसे  ऑखी  मूँदे  हावव  जागव  अब  मोहन  प्यारे ।

करिया -धन हर भर गै हावै देश विदेश म सबो जगह
मन - मोहन औंघावत हावय जागो अब मोहन प्यारे ।

नक्सली  पंदोली  पावत  हावैं तभे तो पनपत हावैं न
'शकुन' सुते हावै  सियान ह जागव अब मोहन प्यारे ।

      अन्ना हर सरकार ल चेताइस हे

अन्ना हर सरकार ल जंतर - मंतर ले चेताइस हे 
जनतंत्र के महत्व ल गॉधी  कस समझाइस  हे ।

अन्ना तैं अक्केला नइ अस देश तोर संग ठाढे हे
देश  ह  सत्याग्रह  ल  तोर - कण्ठ  ले गाइस हे ।

अन्ना तैं निष्फिकर रह जनता जाग गय हावय
जयप्रकाश  के ऑदोलन आज  रंग  लानिस  हे ।

राज करते - करत शासन  हर दुशासन  हो  गे
मिश्र सरिख माहौल आज भारत म आ गिस हे ।

'शकुन' जा तो  तहूँ  अन्ना - टोपी ल  पहिर  ले
अंग्रेज़  ल  बिदारे  बर ओ  गॉधी  फेर आइस हे ।