Monday 24 March 2014

भैया लेहे आवत होही

तीजा - पोरा के  दिन आ  गे  भैया  लेहे  आवत  होही ।
भादो महिना अब्बड सुघ्घर  भैया  लेहे  आवत  होही ।

राखी  बर  नइ आए पाइस  काम-बुता  के  मारे  देख ।
आज  गोड  खजुवावत  हावै  भैया  लेहे  आवत  होही ।

सब सँगवारी आगिन होहीं 'शकुन' सिरिफ बॉहचे हावै। 
दायी  मोला  अगोरत  होही  भैया  लेहे  आवत   होही ।

भॉठा म  सब  नून  खेलबो तला म तौंरबो मन भर के ।
मइके  के  सुख  ल  महूँ बौरिहौं भैया लेहे आवत होही ।

'शकुन' अगोरत होही भौजी  मया  पलपलावत  होही ।
ठेठरी - खुर्मी  बन  गए  होही  भैया  लेहे आवत  होही ।

बूड मरय नहकौनी दय

खेत  बेंच के बिहाव कर दिस बपरा किसान अब  का खावय ।
ससुरार  म  बेटी  भूख  मरत  हे  बूड   मरय  नहकौनी  दय ॥

बेटी के थरहा ल कुक्कुर  मन  लूस-लूस  के  खावत  हावय ।
ऊपर  ले अमर- बेल  चुहकत  हे  बूड  मरय  नहकौनी  दय ॥

देश-भक्ति के खातिर जे ह जिनगी अपन समर्पित कर दिस ।
वोकरे  पागी  ल  तीरत  हावय  बूड   मरय   नहकौनी   दय ॥

अन्ना के  भारी  मरना  हे  अब  ममता  ल  का  जवाब  दय ।
तृण- मूल  ले  कइसे  कन्नी काटय बूड मरय नहकौनी दय ॥

लइकई ले बस बुता करत हे मन  भर  भरे  हे  डर अऊ  भय ।
अपनेच घर के  बनिहारिन बपरी  बूड  मरय  नहकौनी  दय ॥

'शकुन' करे हस भारी गलती दस ठन तोरेच  निकलही  पय ।
चुप्पे - चुप सहि जा कुछु  झन कह बूड मरय नहकौनी दय ॥