अन्ना के ऑधी ह सब ल हलावत हे
आहीं - बाहीं देखत सरकार डेरावत हे ।
हजार हाथी के बल हे सच्चाई म सिरतो
निरलज - दुशासन ह सब ल सतावत हे ।
कुण्डली मारे बइठे हे साठ बरिस हो गे
महंगाई के कोडरा म मनखे ल मारत हे ।
कलजुग ह राजा के मूड भीतर खुसरे हे
जनता ह अन्ना ल बापू कस मानत हे ।
अन्ना तैं रेंग ग तोर पीछू - पीछू हावन
'शकुन' सरी जनता राजा ल बखानत हे ।
आहीं - बाहीं देखत सरकार डेरावत हे ।
हजार हाथी के बल हे सच्चाई म सिरतो
निरलज - दुशासन ह सब ल सतावत हे ।
कुण्डली मारे बइठे हे साठ बरिस हो गे
महंगाई के कोडरा म मनखे ल मारत हे ।
कलजुग ह राजा के मूड भीतर खुसरे हे
जनता ह अन्ना ल बापू कस मानत हे ।
अन्ना तैं रेंग ग तोर पीछू - पीछू हावन
'शकुन' सरी जनता राजा ल बखानत हे ।
जयप्रकाश फेर रो डारिस
जलिया वाला बाग म ए दे डायर दहिकॉदो कर डारिस
आधा रात के सुसक सुसक के जयप्रकाश फेर रो डारिस ।
देख - रेख करही कइ के हम संसद म इनला बैठारेन
हमरे ऊप्पर लाठी - भॉजत जें जयप्रकाश फेर रो डारिस ।
सुते निहत्था मनखे मन ल अश्वत्थामा कस मारिस हे
"महूँ ल अइसने मारे रहिस हे"जयप्रकाश फेर रो डारिस ।
साठ - बरिस ले चुहकत हावै सरी देश ल ढेकुना - कस
लोकतंत्र के लहू पियत हे जयप्रकाश फेर रो डारिस ।
बाबा रामदेव थाम्हें हे मोर मशाल ल देखव आज
एही सोच के खुशी के मारे जयप्रकाश फेर रो डारिस ।
वीर - प्रसूता भारत - जननी ' शकुन' बचाही प्राण हमर
छूरा - धरा पारेन बेंदरा ल जयप्रकाश फेर रो डारिस ।
महंगाई सुरसा कस बाढत हे
महंगाई सुरसा कस बाढत हे जागव अब मोहन प्यारे
भ्रष्टाचार - सुहावत नइये जागव अब मोहन प्यारे ।
खेल - खेल म कलमाडी ह लद्दी म मूडभरसा गिर गे
'मैं नइ जानौं 'झन कहिबे तैं जागव अब मोहन प्यारे ।
दू - सौ - लाख - करोड लील दिस टू जी स्पेक्ट्रम हर
कइसे ऑखी मूँदे हावव जागव अब मोहन प्यारे ।
करिया -धन हर भर गै हावै देश विदेश म सबो जगह
मन - मोहन औंघावत हावय जागो अब मोहन प्यारे ।
नक्सली पंदोली पावत हावैं तभे तो पनपत हावैं न
'शकुन' सुते हावै सियान ह जागव अब मोहन प्यारे ।
अन्ना हर सरकार ल चेताइस हे
अन्ना हर सरकार ल जंतर - मंतर ले चेताइस हे
जनतंत्र के महत्व ल गॉधी कस समझाइस हे ।
अन्ना तैं अक्केला नइ अस देश तोर संग ठाढे हे
देश ह सत्याग्रह ल तोर - कण्ठ ले गाइस हे ।
अन्ना तैं निष्फिकर रह जनता जाग गय हावय
जयप्रकाश के ऑदोलन आज रंग लानिस हे ।
राज करते - करत शासन हर दुशासन हो गे
मिश्र सरिख माहौल आज भारत म आ गिस हे ।
'शकुन' जा तो तहूँ अन्ना - टोपी ल पहिर ले
अंग्रेज़ ल बिदारे बर ओ गॉधी फेर आइस हे ।
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