रंग म बूड के फागुन आ गे बैठ - पतंग - सवारी म
टेसू - फूल धरे हे वो हर ठाढे हावय दुवारी म ।
भौरा - कस ऑखी हे वोकर आमा - मौर हे पागा म
मुच - मुच हॉसत कामदेव कस ठाढे हावय दुवारी म ।
मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध बॉदी हो गए हे आज
लाज लुका गे कहॉ कोंजनी फागुन खडे दुवारी म ।
पिंवरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज
दार - भात म करा ह पर गे फागुन खडे दुवारी म ।
रस्ता देखत रहेंव बरिस भर कइसे वोला बिदारौं मैं
'शकुन' तैं पहुना ल परघा ले ठाढे हावै दुवारी म ।
टेसू - फूल धरे हे वो हर ठाढे हावय दुवारी म ।
भौरा - कस ऑखी हे वोकर आमा - मौर हे पागा म
मुच - मुच हॉसत कामदेव कस ठाढे हावय दुवारी म ।
मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध बॉदी हो गए हे आज
लाज लुका गे कहॉ कोंजनी फागुन खडे दुवारी म ।
पिंवरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज
दार - भात म करा ह पर गे फागुन खडे दुवारी म ।
रस्ता देखत रहेंव बरिस भर कइसे वोला बिदारौं मैं
'शकुन' तैं पहुना ल परघा ले ठाढे हावै दुवारी म ।
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