चुप्पे - चुप ऑसू पी लेबे मन के गोठ ल झन गोठियाबे
कहूँ ल कभ्भु तैं झन बताबे मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
वोहर तोला नइ भावय तव एमा तोर का गलती हावय
तैं हर वोकर भाव समझ ले मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
रहि - रहि के वो हर दुख देथे मैं काकर मेर गोहरावँव
मुँह सिलाय हे तैं का करबे मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
कतका कहेंव भुलाहौं तोला फेर तैं लहुट - लहुट के आथस
कइसे वोला बिसराबे तैं मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
सॉझ हो गे अब चल घर जाबो डेहरी मोला अगोरत होही
काबर बिलमे 'शकुन' कही तौ मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
कहूँ ल कभ्भु तैं झन बताबे मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
वोहर तोला नइ भावय तव एमा तोर का गलती हावय
तैं हर वोकर भाव समझ ले मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
रहि - रहि के वो हर दुख देथे मैं काकर मेर गोहरावँव
मुँह सिलाय हे तैं का करबे मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
कतका कहेंव भुलाहौं तोला फेर तैं लहुट - लहुट के आथस
कइसे वोला बिसराबे तैं मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
सॉझ हो गे अब चल घर जाबो डेहरी मोला अगोरत होही
काबर बिलमे 'शकुन' कही तौ मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।
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