इहॉ - ऊहॉ ले किंदर के आथौं फेर तोला मन म मैं पाथौं
मन म तैं कब के बइठे हस मन ले तै बाहिर नइ जावस ।
सँगी मन मसखरी करत हें फेर मोर मन लइका कस रोथे
रोज के मैं हर मन्दिर जाथौं मन ले तै बाहिर नइ जावस ।
भभर के तोर सँग कई घौं बोलेंव फेर तैं हर काबर इतराथस
मोर मन म तैं राज करत हस मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
एक - एक दिन कर - कर के अब जिनगी के संझा हर आ गे
का जानवँ तोर मन म का हे मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
कइसे जियत हवँ मैं का जानवँ मोला मन भर कोन खोजथे
मैं हर काकर हितवा हो गैं फेर मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
वोकर भरोसा छोंड 'शकुन' तैं अपन अकल ले ले तैं काम
समय ह सरपट भागत हावय मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
मन म तैं कब के बइठे हस मन ले तै बाहिर नइ जावस ।
सँगी मन मसखरी करत हें फेर मोर मन लइका कस रोथे
रोज के मैं हर मन्दिर जाथौं मन ले तै बाहिर नइ जावस ।
भभर के तोर सँग कई घौं बोलेंव फेर तैं हर काबर इतराथस
मोर मन म तैं राज करत हस मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
एक - एक दिन कर - कर के अब जिनगी के संझा हर आ गे
का जानवँ तोर मन म का हे मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
कइसे जियत हवँ मैं का जानवँ मोला मन भर कोन खोजथे
मैं हर काकर हितवा हो गैं फेर मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
वोकर भरोसा छोंड 'शकुन' तैं अपन अकल ले ले तैं काम
समय ह सरपट भागत हावय मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।
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