कोनों मेर रहौं दौंड के आथे तोर नैन के बलिहारी हे
छोंडय नहीं अकेल्ला मोला तोर नैन के बलिहारी हे ।
मोर जिनगी ल वोही चलाथे मैं ह ओकर मन के चलथौं
का पहिरौं वो ही समझाथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
जाना कहॉ हे का करना हे तोर नैना हर निरनय लेथे
का बोलवँ मैं वोही बताथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
कहूँ अकेल्ला नइ जाना हे सम्हर-पखर के तैं झन जा
घेरी - बेरी मोला खिसियाथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
वोकर बरजना मोला सुहाथे बिकट नीक लागथे मोला
तैं हस संग म अइसे लागथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
छोंडय नहीं अकेल्ला मोला तोर नैन के बलिहारी हे ।
मोर जिनगी ल वोही चलाथे मैं ह ओकर मन के चलथौं
का पहिरौं वो ही समझाथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
जाना कहॉ हे का करना हे तोर नैना हर निरनय लेथे
का बोलवँ मैं वोही बताथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
कहूँ अकेल्ला नइ जाना हे सम्हर-पखर के तैं झन जा
घेरी - बेरी मोला खिसियाथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
वोकर बरजना मोला सुहाथे बिकट नीक लागथे मोला
तैं हस संग म अइसे लागथे तोर नैन के बलिहारी हे ।
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ReplyDeleteगजब नीक लागिस-- तोर नैन के बलिहारी हे--
ReplyDeleteकहूँ अकेल्ला नइ जाना हे सम्हर-पखर के, वोकर बरजना मोला सुहाथे बिकट....
लेखिका ला सादर परनाम |