बेटी - बिदा आज होवत हे
सब झन के ऑसू ढरकत हे ।
बाप ह कइसे परगट रोवय
करेजा भीतर ह कसकत हे ।
महतारी के तो मन पोनी ए
जुन्ना लुगरा कस दरकत हे ।
बहिनी अभी नानकन हावय
ओढर कर - करके रोवत हे ।
बडे - भाई ल बिकट - बुता हे
मने - मन वो ह सुसकत हे ।
बेटी ह मर - मर के जीही
अनहोनी ल ओदे अगोरत हे ।
सब झन के ऑसू ढरकत हे ।
बाप ह कइसे परगट रोवय
करेजा भीतर ह कसकत हे ।
महतारी के तो मन पोनी ए
जुन्ना लुगरा कस दरकत हे ।
बहिनी अभी नानकन हावय
ओढर कर - करके रोवत हे ।
बडे - भाई ल बिकट - बुता हे
मने - मन वो ह सुसकत हे ।
बेटी ह मर - मर के जीही
अनहोनी ल ओदे अगोरत हे ।
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