Sunday 7 September 2014

बेटी बिदा आज होवत हे

बेटी - बिदा आज  होवत  हे
सब झन के ऑसू ढरकत हे ।

बाप  ह  कइसे  परगट रोवय
करेजा भीतर ह कसकत हे ।

महतारी  के  तो  मन पोनी  ए
जुन्ना लुगरा कस दरकत हे ।

बहिनी अभी नानकन  हावय
ओढर कर - करके  रोवत  हे ।

बडे - भाई ल बिकट - बुता  हे
मने - मन वो  ह सुसकत हे ।

बेटी  ह  मर - मर  के  जीही
अनहोनी ल ओदे अगोरत हे ।

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