Thursday 18 September 2014

छोटे झन बन

नाव  कमाए  के  चक्कर  म छोटे झन बन
आत्मा ल दुख झन दे तोला महँगा परही ।

पढ - लिख के दाई-ददा के आघू झन इतरा
देखबे तोरेच लइका हर तोला अडहा कइही ।

ईर्खा - दोख  बर  समय  कहॉ  हे  बाबू मोर
प्रेम  म  बूड के देख जिन्दगी तोर सँवरही ।

दाई -  ददा  बर  कभु  दुश्मनी  झन  करबे
मया  बॉट  के देख जिन्दगी तोर भभरही ।

नाच  ले  गा  ले आज  काल  फेर  का होही
दिन बादर म काल काल ह तोला अमरही ।
 

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