Saturday, 5 April 2014

तोर अब्बड सुरता आथे

जतके  कथौं  भुलाहौं  तोला  तोर  ओतके  सुरता आथे ।
मानय नहीं  बात  मोर  मन ह तोर अब्बड सुरता आथे ।

प्रेम  से  तैं  हर  गोठिया लेते मैं ओतके  म  जी  जातेंव ।
का  जानवँ  तोर  मन  म का हे तोर अब्बड सुरता आथे ।

बिना  भरोसा  प्रेम  नइ  होवय हमला काकर डर हावय ।
तोला   मैं  कइसे  समझावौं  तोर  अब्बड   सुरता  आथे ।

तहूँ  मया  करथस  मोला  ए  बात ल  मैं  हर  जानत हौं ।
तोर ऑखी तोर कस लबरा नइए तोर अब्बड सुरता आथे।

'शकुन' मया  हर  कहॉ लुकाथे भींजे माटी कस मम्हाथे ।
कभु कोनो मेर  झन कहिबे तैं तोर अब्बड  सुरता आथे ॥

No comments:

Post a Comment