Saturday 19 September 2015

बेटी बचावव


                        एकांकी
पात्र - परिचय
1- रामलाल - घर के मुखिया । उमर - 50 बरिस ।
2- कमला  - रामलाल के गोसाइन । उमर - 45 बरिस ।
3- पवन - रामलाल के बेटा । उमर - 26 बरिस ।
4 - पूजा - कमला के बहू । उमर - 22 बरिस ।
5 - शोभा- कमला के बेटी । उमर - 21 बरिस ।
6 - श्याम - पूजा के भाई । उमर - 24 बरिस ।

                      पहिली - दृश्य 


[ गॉव के घर । अंगना हर गोबर म लिपाय - बहराय - औंठियाय - चौंक पुराय । रामलाल हर अपन सुआरी कमला ल कुछु समझावत हे , कपार म सलवट पर गए हे , तेन हर दुरिहा ले दिखत हे ।]

रामलाल - अपन बहू ल समझा दे , अब ओहर नौकरी नइ कर सकय । हमर घर के बहू - बेटी मन नौकरी नइ करैं । ए बात ल वोहर जतके जल्दी समझ जावय ओतके अच्छा ।
  कमला- बहू नौकरी करत हे तेमा का नकसान हे ? अब जमाना बदल गए हे , हमुँ मन ल जमाना के संगे -संग रेंगे बर परही, नइतो हम पछुआ जाबो । जौन दुख ल मैं भोगे हँव तेला मोर बहू ल नइ भोगन दवँ ।
रामलाल - तोर संग तो गोठियाना अबिरथा हे ! हर बात के उल्टा मतलब निकालथस । तोर भेजा म तो गोबर भरे हावय ।
कमला - महूँ हर तुँहर बारे म अइसने कह सकत हँव ! मोर अच्छाई ल मोर कमजोरी झन समझव ।
रामलाल - हे भगवान ! मोर गोसैंनिन ल थोरिक अक्कल दे दे ।
कमला - अक्कल के जादा जरूरत तुँहला हावय ।
          [ बहू आइस हे ]
पूजा - दायी ! मैं हर ऊँकर मन बर चाय बनावत हौं तव तुहूँ मन बर बना लवँ का ?
कमला - हॉ बेटा ! बना ले, चाय के बेरा तो हो गए हे ।
रामलाल - हमर बहू कतेक अक्कल वाली हे ! देख हमर कतका ध्यान रखथे ? कोजनी शोभा मेर कइसे व्यवहार करही ? एही बात के भारी चिन्ता हे ।

कमला -मैं हर तुँहला कतका समझायेंव कि सच बात ल बता दव फेर तुँमन नइ मानेवँ ! अब मैं का करौं ?
पूजा- दायी ! एदे - गरमागरम चाय अऊ संग म आलू - भॉटा के भजिया ।
कमला - बेटी ! तैं चाय ल पॉच - कप कैसे बनाए हस ? हमन तो चारे झन हावन न ?
पूजा - दायी ! तैं शोभा ल कइसे भुला गए ? वोहर घर म नइये का ?
[ रामलाल के हाथ ले चाय हर छलक जाथे अऊ कमला के हाथ ले चाय के कप हर गिर जाथे अऊ कप के फूटे के आरो ले सबो सुकुर्दुम हो जाथें । सास - ससुर ल हडबडावत देख के पूजा हर कहिस ]
पूजा - तुमन चिन्ता झन करव । मैं एला सकेलत हौं ।
[ वोहर कप के कुटा मन ल बिन के ले जाथे ]

पूजा - दायी ! ए दे चाय ।

[ पवन अऊ पूजा सरी घर ल खोज डारिन फेर शोभा वोमन ल नइ मिलिस । थक - हार के पवन हर अपन दायी ल पूछिस ]
पवन - दायी ! शोभा कहॉ हे ?
कमला- [ असकटाय के चोचला करत हे ] शोभा अपन कुरिया म हावय ।
पवन - वोकर कुरिया म तो तारा लगे हे दायी !
कमला - ए ले कूची ल , जा खोल दे ।

[ पवन हर कूची ल पूजा के हाथ म दिहिस अउ कहिस - ]
पवन - दायी - ददा मन शोभा ल कुरिया म धॉध देहे हें - ए ले कूची , जा देख मरगे धन जियत हे ।[ अपन दायी - ददा ल रिस कर के देखथे ।] वोहर खोरी हे तेमा वोकर का गलती हे ? अपनेच लइका बर अइसे व्यवहार ? ओइसे पूजा ! महूँ हर इंजीनियर नइ औं । मैं हर एम.ए. बी. एड. हावौं । शिक्षा - कर्मी , वर्ग एक म , लइका -मन ल पढाथौं । कभु -कभु मुँह खोलना जरूरी होथे दायी ! तेकर सेती बोलत हौं । एही बात मोर ददा घलाव समझ लेतिस तव ए नौबत नइ आतिस । मोला, पूजा के आघू म मुँह लुकाए बर नइ परतिस ।

                       दूसरा - दृश्य 


[ पूजा हर जब कुरिया के कपाट ल खोलिस तव सरी कुरिया बस्सावत हे अऊ शोभा हर बेहोश परे हे , वोहर रोवत - चिल्लावत , दायी के कुरिया कती भागत हे ]
पूजा - दायी ! पूजा के होश नइए अऊ ओकर मुँह ले गजरा निकलत हे ।
[ तुरते - ताही पवन हर बैद ल बला के लानिस हे । सबो झन के मुँह सुखा गय हावय ।]
बैद - फिकर के कोनो बात नइए । एकर ऑखी म जुड - पानी छींच दव । मूर्छा ले जाग जाही तव लिमाउ - पानी पिया देहौ अउ जौन खाही तौन खवा देहौ ।
[ पूजा हर शोभा के ऑखी म पानी छीचथे तहॉ ले शोभा हर ऑखी उघारथे अऊ एती - तेती निहारथे । शोभा के तबियत ल देख के पूजा अब्बड रोवत हे , वोकर ऑखी लाल हो गए हे । वोहर सपना म नइ सोंचे रहिस हे कि कहूँ दायी - ददा , अपन लइका संग ,अइसे व्यवहार कर सकत हे । वोहर शोभा के ध्यान अइसे राखे लागिस जइसे शोभा हर वोकर सगे छोटे बहिनी ए । दुनों ननद - भौजाई गोठियावत हें, आवव हमुँ मन सुनबो ।]

शोभा - भौजी ! मोर दायी - ददा मन मोला चिराय - ओन्हा सरिख काबर लुकावत रहिथें ? कभु - कभु मैं सोंचथौं के यदि मैं हर बाबू होतेंव तभो मोर दायी - ददा मन मोला अइसने तारा लगा के धॉध देतिन ? नोनी लइका ल कतका अपमानित होना परथे न भौजी ! वोला वो गलती के सजा मिलथे, जेला वोहर कभु करेच नइए ।[ वोहर अपन भौजी ल पोटार के अब्बड रोथे ] तोर सिवाय मोर कोनों नइए भौजी !
पूजा - झन चिन्ता कर, मैं हावँवँ न !
शोभा - भौजी । तैं हर तो खैरागढ ले लोक - गीत म एम. ए. करे हावस न ? महूँ ल सिखो दे न, भौजी !
पूजा - मन लगा के सीखबे तव सिखोहँवँ । अइसने रोना - गाना करबे तव कइसे सीखबे ?
शोभा- मैं मन लगा के सीखिहँवँ भौजी ! मैं तोला निराश नइ करौं ।

[ हमन सब झन बुता करत - करत थक जाथन अऊ थक - हार के सुत जाथन  फेर काल के चक्का नइ थिरावय वोहर रेंगतेच रहिथे । पूजा ह अपन ननद ल लोक - गीत सिखोवत गइस अउ शोभा हर मन लगा के सीखिस अब वोहर बडे - बडे कार्यक्रम म गाथे । आवव हमुँ मन सुनबो , वोहर " भरथरी " गावत हे ।]
शोभा -
 ए दे नोनी पिला के जनम ल धरे तोर धन भाग ए ओ मोर नोनीsssssss
तैं ह बेटी अस मोर तैं ह बहिनी अस मोर संगवारी अस मोर
महतारी अस महतारी अस मोर नोनीsssssssss

लइका ल कोख म वोही धरथे भले ही पर - धन ए मोर नोनी
सब ल मया दिही भले पीरा सइही भले रोही गाही
वोही डेहरी म वोही डेहरी म मोर नोनीssssssssss

पारस - पथरा ए जस ल बढाथे मइके के ससुरे के मोर नोनी
वोला झन हींनव ग वोला झन मारव ग थोरिक सुन लेवव ग
गोहरावत हे गोहरावत हे मोर नोनी ssssssssssss।

पूजा - तैं बिकट - बढिया गाए हावस ओ शोभा !फेर मैं हर चाहत हँवँ के तैं हर गीत के पीरा ल महसूस कर, वो पीरा हर तोर गीत म तोर चेहरा म दिखय, तव आउ सुघ्घर गाबे ।
शोभा - ठीक कहत हस भौजी ! मैं कोशिश करिहौं ।

[ श्याम हर पूजा के भाई ए । वोहर भाई - द्विज म अपन बहिनी के घर म आए हे । पूजा हर अपन भाई के पूजा करके आरती करत रहिस हे ततके बेर लकठा म कोनों मेर ले एक झन छोकरी हर " कजरी " गावत रहिस हे  ]
" रंगबे तिरंगा मोर लुगरा बरेठिन
किनारी म हरियर लगाबे बरेठिन ।

झंडा - फहराए बर महूँ  हर जाहँवँ
ऊपर  म  टेसू रंग -  देबे - बरेठिन ।

सादा - सच्चाई बर हावय जरूरी
भुलाबे झन छोंड देबे सादा बरेठिन ।

नील रंग म चर्खा कस चक्का बनाबे
नभ  ल अमरही -तिरंगा - बरेठिन ।

          तीसरा - दृश्य 


श्याम - पूजा ! ए मेर कोन गावत हे ? वोहर देश - प्रेम म  "कजरी" गावत हे फेर ओकर गीत म अतेक पीरा काबर हावय ? पूजा बता न ! कोन गावत हे ? तैं वोला जानथस का ?
पूजा - गावत होही कोनो । तोला का करना हे ?
श्याम - पूजा ! मैं वो छोकरी के सुर के गुलाम बन गय हावौं । वोकर बर मैं अपन जिंदगी ल दॉव म लगा सकत हावौं , समझे ?
पूजा - वोहर लूली - खोरी, अँधरी रइही तभो तैंहर .............
श्याम - हॉ पूजा हॉ, वो जइसे भी होही मैं वोला अपनाए बर तियार हँवँ ।
[ तभे गीत के आखरी दू लाइन ल गुनगुनावत शोभा हर वोही मेर आ गे ]
शोभा-
 रंगबे - तिरंगा मोर लुगरा बरेठिन
किनारी म हरियर लगाबे बरेठिन ।
[ कजरी गावत - गावत शोभा हर अपन भौजी के कुरिया म आथे अऊ अनजान मनखे ल देख के ठिठक जाथे , श्याम अऊ शोभा एक -दूसर संग गोठियाइन तो नहीं फेर तिरिया के दुनों झन चल दिहिन । अरे ! एमन आपस म ऑखी काबर चोरावत हावैं ? ऐसे लागत हे के ए दूनों झन बहुत जल्दी बहुत नजदीक आवत हें । आज पूजा अपन शिष्या शोभा ल " बिहाव - गीत " गाए बर सिखोवत हे काबर कि देव - उठनी अकादसी लकठिया गए हे । गॉव के गुँडी म "बिहाव - गीत" के कार्यक्रम हे, दस - बारह गॉव के मनखे मन जुरे हावँयँ । शोभा हर " बिहाव - गीत " गावत हे, पूजा ह हरमुनिया बजावत हे, पवन हर ढोलक बजावत हे आउ श्याम हर बॉसुरी बजावत हे ।]
शोभा -
सियाराम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव ।
शुभ - शुभ  होही  सब  काज गौरी - गनेश बेगि आवव ॥

बॉस - पूजा होही मँडवा म पहिली
उपरोहित ल  झट के बलाव  गौरी - गनेश  बेगि आवव ।
सियाराम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव ।
शुभ - शुभ  होही  सब  काज गौरी - गनेश बेगि आवव ॥

चूल - माटी खनबो परघा के लानबो
माटी  के  मरम  ल  बताव  गौरी - गनेश  बेगि  आवव ।
सियाराम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव ।
शुभ - शुभ  होही  सब  काज  गौरी - गनेश बेगि आवव ।

भॉवर - परे  के  महूरत  हर आ  गे
सु - आसीन  मंगल  गाव  गौरी  - गनेश  बेगि  आवव ।
सियाराम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव ।
शुभ - शुभ  होही  सब  काज गौरी - गनेश बेगि आवव ॥

बर - कइना  दुनों  ल असीस  देवव
आघू  ले  दायी - बेटा आव  गौरी - गनेश  बेगि  आवव ।
सियाराम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव ।
शुभ - शुभ  होही  सब काज  गौरी - गनेश बेगि आवव ॥

हरियर  हे  मडवा  हरियर  हे मनवा
जिनगी  ल  हरियर  बनाव  गौरी - गनेश  बेगि  आवव ।
सियाराम के होवत हे बिहाव गौरी - गनेश बेगि आवव ।
शुभ - शुभ  होही  सब  काज गौरी - गनेश बेगि आवव ॥

[ बिहाव - गीत हर सम्पन्न होइस तइसने पवन हर कहिस ]
पवन - सबो झन ल साखी मान के आज मैं हर श्याम ल एदे अपन बहनोई बनावत हावँवँ  [ वोहर श्याम ल हरदी के टीका लगाइस अऊ शगुन के रूप म 101 रुपिया धराइस हे आउ श्याम हर वोकर पॉव -पर के आशीर्वाद लिहिस हे ।]
पवन - आज मोर बहिनी शोभा हर " बिहाव - गीत " गाइस हावय । आज ले ठीक तीन दिन बाद पुन्नी के दिन गोधूलि वेला म एकर बिहाव होही । सबो झन ल नेवता देवत हँवँ  मोर बहिनी ल असीस देहे बर खचीत आहव ।
[ अचानक  पवन के दायी - ददा मन पवन के तीर म आथें अऊ दुनों झन हाथ जोर के, गॉव भर के आघू म स्वीकार करथें कि हमन भारी गलती करे हन, तेकर माफी मॉगे बर आए हावन हो सकही तव हमन ल माफ कर देहव । ]
रामलाल - मैं सबो झन के आघू म ए बात ल स्वीकार करत हावँवँ के मैं हर खुद अपन लइका मन संग    दुश्मन  कस व्यवहार करे हवँ । मैं हर अपन दुनों लइका मन मेर हाथ जोर के माफी मॉगत हवँ । हो सकही तव तुमन मोला माफ कर देहव ।
[ अतका म पूजा हर धरा- रपटा शोभा ल धर के  ओ मेरन आइस अऊ कहिस - ]
पूजा - सियान मन के माफी मँगाई हर नइ फभय ! जौन बीत गे तेला भुलावव अऊ बर - बिहाव के तियारी करव । तुमन शोभा ल आशीर्वाद देवव, [ अइसे कहि के उँकर दुनों झन के आघू म शोभा के मूड ल थोरिक नवाइस , तहॉ ले दुनो झन शोभा ल पोटार के पछता - पछता के अब्बड रोइन, फेर ए ऑसू म घलाय आनन्द के खजाना लुकाय हे , है न ? ]
     
शकुन्तला शर्मा , 288/ 7 मैत्री कुञ्ज भिलाई - 490006 , दुर्ग [ छ. ग.]
                   
            

5 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति । बहुत अच्छा लिखती है आप । मेरी ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।

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  2. प्रशंसनीय

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  3. प्रशंसनीय

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  4. बहुत दिनों से आप ने कुछ लिखा नहीं. रचना के इंतजार में.

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  5. Khag hi jañe khag ki bhasha. Ham to sirf yah jañate hai ki Aap badiya likhati hai. Kaushik Gañesh

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