किरीट सवैया – 8 – भगण
आवत हे अब साल नवा नव, आस
भरे मन – मंदिर मानव
देव कहौ तन ला मन माधव, आज
सबो सच ला पहिचानव।
सोच बने गति पा मति पा अब,
सोच जगा अउ सोच सुधारव
जीवन के सुर ताल बजै शुभ,
राग धरौ सुर मा अब गावव ।
आइस हे नवरात बने सब, नौ -
दिन के महिमा – सँहरावव
मातु बिना अदियावन हे शुभ –
भाव धरौ तव तो परघावव ।
सार बने धर ले मन मा तव,
मान मृदंग मया मन जानव
चैत गहूँ उरदा मसरी - धर,
नाचत – लानत ढोल बजावव ।
मो.- 93028 30030
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