आम लीम बर पीपर पहिरे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
नरवा - नदिया तीर म बैठे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
धान - सैकमी कहिथें एला किसम-किसम के होथे धान ।
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
हर पारा म सुवा - ददरिया राग सुनावत रहिथे ओ ।
संझा - कन जस गीत ल गाथे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
भिनसरहा ले गॉव के फेरी भजन - मण्डली करथे रोज ।
देश के पोटा म लुकाय हे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
'शकुन' जगावव सबो गॉव ल गॉव म बसथे भारत मोर ।
खनखनखनखन धान उगलत हे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
नरवा - नदिया तीर म बैठे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
धान - सैकमी कहिथें एला किसम-किसम के होथे धान ।
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
हर पारा म सुवा - ददरिया राग सुनावत रहिथे ओ ।
संझा - कन जस गीत ल गाथे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
भिनसरहा ले गॉव के फेरी भजन - मण्डली करथे रोज ।
देश के पोटा म लुकाय हे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
'शकुन' जगावव सबो गॉव ल गॉव म बसथे भारत मोर ।
खनखनखनखन धान उगलत हे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर ---
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