बोले ले अडबड नीक लागत हे
अब शहर गॉव कती भागत हे ।
शहर म अब्बड भीड बाढ गे
सोंचे म अलकर लागत हे ।
मनखे गोरस के स्वाद भुला गे
गॉव म अलमलहा पावत हे ।
लइका मन गॉव म बड खुश हें
मुर्रा मुराई मन भर खावत हें ।
अगहन के गुरबार म ओ दे
अँगना भर चौंक पुरावत हे ।
मोर परोसी गॉव म बस गे
मोरो मन अब ललचावत हे ।
अब शहर गॉव कती भागत हे ।
शहर म अब्बड भीड बाढ गे
सोंचे म अलकर लागत हे ।
मनखे गोरस के स्वाद भुला गे
गॉव म अलमलहा पावत हे ।
लइका मन गॉव म बड खुश हें
मुर्रा मुराई मन भर खावत हें ।
अगहन के गुरबार म ओ दे
अँगना भर चौंक पुरावत हे ।
मोर परोसी गॉव म बस गे
मोरो मन अब ललचावत हे ।
प्रभावशाली रचना है।
ReplyDeleteनिजभाषा में इस स्तरीय रचना का स्वागत है।