चंदन कस तोर माटी हे मोर छत्तीसगढ - महतारी
छत्तीसगढ - महतारी ओ माई छत्तीसगढ - महतारी ।
तोर कोरा हे आरुग माई तैं सबके महतारी
तैं सबके महतारी ओ माई तैं सबके महतारी ।
धान - बौटका कहिथें तोला धान उपजथे भारी
धान उपजथे भारी ओ मैया धान उपजथे भारी ।
रुख - राई मन ओखद ए सञ्जीवनी डारी - डारी
सञ्जीवनी डारी - डारी ओ मैया सञ्जीवनी ए डारी ।
असीस असन हे नरवा - नदिया पलथे खेती - बारी
पलथे खेती - बारी ओ मैया पलथे खेती - बारी ।
शीतला - माई रोग - शोक ले करथे तोर रखवारी
करथे तोर रखवारी ओ माई करथे तोर रखवारी ।
लाली - ऑंखी तोला देखा के पूजत हे धर के आरी
पूजत हे धर के आरी ओ मैया पूजत हे धर के आरी ।
असुर - विदाई कर दे माई पावन रहय दुवारी
पावन रहय दुवारी ओ मैया पावन रहय दुवारी ।
चंदन कस तोर माटी हे मोर छत्तीसगढ - महतारी
छत्तीसगढ - महतारी ओ मैया छत्तीसगढ - महतारी ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई [ छ. ग. ]
छत्तीसगढ - महतारी ओ माई छत्तीसगढ - महतारी ।
तोर कोरा हे आरुग माई तैं सबके महतारी
तैं सबके महतारी ओ माई तैं सबके महतारी ।
धान - बौटका कहिथें तोला धान उपजथे भारी
धान उपजथे भारी ओ मैया धान उपजथे भारी ।
रुख - राई मन ओखद ए सञ्जीवनी डारी - डारी
सञ्जीवनी डारी - डारी ओ मैया सञ्जीवनी ए डारी ।
असीस असन हे नरवा - नदिया पलथे खेती - बारी
पलथे खेती - बारी ओ मैया पलथे खेती - बारी ।
शीतला - माई रोग - शोक ले करथे तोर रखवारी
करथे तोर रखवारी ओ माई करथे तोर रखवारी ।
लाली - ऑंखी तोला देखा के पूजत हे धर के आरी
पूजत हे धर के आरी ओ मैया पूजत हे धर के आरी ।
असुर - विदाई कर दे माई पावन रहय दुवारी
पावन रहय दुवारी ओ मैया पावन रहय दुवारी ।
चंदन कस तोर माटी हे मोर छत्तीसगढ - महतारी
छत्तीसगढ - महतारी ओ मैया छत्तीसगढ - महतारी ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई [ छ. ग. ]
कल 10/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
चंदन कस तोर माटी हे मोर छत्तीसगढ - महतारी
ReplyDeleteछत्तीसगढ - महतारी ओ मैया छत्तीसगढ - महतारी ।
आपकी क्षेत्रीयता से पूर्ण रचना प्राणवान लगी। मेरा हौंसला बढ़ाने के लिए आपकाो धन्यवाद।