डोंगा म बैठ के भादो आगे झर झर झर गिरथे पानी
हरियर - रंग के लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
रद रद रद रद चूहैय छान्ही ओरवांती छर छर बाजै
किसम किसम के फूलपान ले भादो घर अँगना साजै।
गोडा मन म पुटु जाम गे भुइयाँ हर हो गए हे धानी
हरियर - रंग के लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
खेत दिखत हे हरियर हरियर मन माते हे पोरिस भर
बहुरा - गाय के होथे पूजा कहूँ झन तरसै गोरस बर।
हाँसत हावै नाना जी अउ मुस्कावत हावय मोर नानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
खमरछठ के पूजा होत हे सगरी खनाय हे अँगना म
महतारी मन कथा सुनत हें लइका झूलय पलना म।
तप हर बहुत जरूरी होथे कहिथें धीर - वीर ज्ञानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
आठे - कन्हैया बगरावत हे कहत कहानी जोगी के
वोही जगद - गुरु प्रभु ल बंदौं जपौं नाव वो जोगी के।
वोही महानायक द्वापर के धीर - वीर विभु- वरदानी
हरियर- हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
नोनी- मन आहीं तीजा म अगोरत हें महतारी- मन
नोनी के सुरता आथे तव मन होथे भारी - भारी तन।
नोनी के गोड़ ह खजुवावत हे दाई के आँखी म पानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
गणेश चौथ हर आ गे अब तो गजहिन होही गाँव हर
दस दिन ह हिरना हो जाही फेर सुन्ना होही गाँव हर।
रेङ्गव रेङ्गव जिनगी भर अतके समझ लेतिस प्रानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ ग ]
हरियर - रंग के लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
रद रद रद रद चूहैय छान्ही ओरवांती छर छर बाजै
किसम किसम के फूलपान ले भादो घर अँगना साजै।
गोडा मन म पुटु जाम गे भुइयाँ हर हो गए हे धानी
हरियर - रंग के लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
खेत दिखत हे हरियर हरियर मन माते हे पोरिस भर
बहुरा - गाय के होथे पूजा कहूँ झन तरसै गोरस बर।
हाँसत हावै नाना जी अउ मुस्कावत हावय मोर नानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
खमरछठ के पूजा होत हे सगरी खनाय हे अँगना म
महतारी मन कथा सुनत हें लइका झूलय पलना म।
तप हर बहुत जरूरी होथे कहिथें धीर - वीर ज्ञानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
आठे - कन्हैया बगरावत हे कहत कहानी जोगी के
वोही जगद - गुरु प्रभु ल बंदौं जपौं नाव वो जोगी के।
वोही महानायक द्वापर के धीर - वीर विभु- वरदानी
हरियर- हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
नोनी- मन आहीं तीजा म अगोरत हें महतारी- मन
नोनी के सुरता आथे तव मन होथे भारी - भारी तन।
नोनी के गोड़ ह खजुवावत हे दाई के आँखी म पानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
गणेश चौथ हर आ गे अब तो गजहिन होही गाँव हर
दस दिन ह हिरना हो जाही फेर सुन्ना होही गाँव हर।
रेङ्गव रेङ्गव जिनगी भर अतके समझ लेतिस प्रानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ ग ]
गजब की मिठास भाषा में / अनजान सी महक / v nc
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!
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