Friday 27 September 2013

शबरी

बोइर चाखत है   शबरी आए राम -जी आजहु   आंगन   में
खट्टे फेंकत मीठे खवावत है भई बावरी आनन फ़ानन में।
जूठे बेर न भाए हैं लक्ष्मण को छोड़े प्रेम पगे बेर कानन में
शक्तिबाण के बेरहि बेर वही बन संजीवनी गयो आनन में।

1 comment:

  1. सुंदर प्रसंग का उत्तम शब्द-चित्र........वाह !!!!

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