Monday 2 September 2013

भादो

डोंगा म बैठ के भादो आगे झर झर झर गिरथे  पानी 
हरियर -  रंग  के लुगरा  पहिरे आवत हे जल के रानी।  

रद रद रद रद चूहैय  छान्ही  ओरवांती छर छर  बाजै
किसम किसम के फूलपान ले भादो घर अँगना साजै।

गोडा मन म पुटु जाम गे भुइयाँ हर  हो  गए  हे  धानी
हरियर - रंग  के लुगरा  पहिरे आवत हे जल  के रानी।

खेत दिखत हे हरियर हरियर मन माते हे पोरिस भर
बहुरा - गाय  के होथे पूजा कहूँ  झन तरसै गोरस बर।

हाँसत हावै नाना जी अउ मुस्कावत हावय मोर नानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।

खमरछठ के पूजा होत हे सगरी खनाय हे अँगना  म
महतारी  मन कथा सुनत हें लइका झूलय पलना म।

तप  हर  बहुत  जरूरी  होथे कहिथें धीर - वीर  ज्ञानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।

आठे - कन्हैया बगरावत हे कहत  कहानी जोगी  के
वोही जगद - गुरु प्रभु ल बंदौं जपौं नाव वो जोगी के।

वोही महानायक द्वापर के धीर - वीर  विभु- वरदानी
हरियर- हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।

नोनी- मन आहीं तीजा म अगोरत हें महतारी- मन
नोनी के सुरता आथे तव मन होथे भारी - भारी तन।

नोनी के गोड़ ह खजुवावत हे दाई के आँखी म पानी
हरियर - हरियर लुगरा पहिरे आवत हे जल के रानी।

गणेश चौथ हर आ गे अब तो गजहिन होही गाँव हर
दस दिन ह हिरना हो जाही फेर सुन्ना होही गाँव हर।

रेङ्गव रेङ्गव जिनगी भर अतके समझ लेतिस प्रानी
हरियर - हरियर लुगरा  पहिरे आवत हे जल के रानी।

शकुन्तला शर्मा ,  भिलाई  [ छ  ग  ]

                                           
                                          

 

2 comments:

  1. गजब की मिठास भाषा में / अनजान सी महक / v nc

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  2. बहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!

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