खेत बेंच के बिहाव कर दिस बपरा किसान अब का खावय ।
ससुरार म बेटी भूख मरत हे बूड मरय नहकौनी दय ॥
बेटी के थरहा ल कुक्कुर मन लूस-लूस के खावत हावय ।
ऊपर ले अमर- बेल चुहकत हे बूड मरय नहकौनी दय ॥
देश-भक्ति के खातिर जे ह जिनगी अपन समर्पित कर दिस ।
वोकरे पागी ल तीरत हावय बूड मरय नहकौनी दय ॥
अन्ना के भारी मरना हे अब ममता ल का जवाब दय ।
तृण- मूल ले कइसे कन्नी काटय बूड मरय नहकौनी दय ॥
लइकई ले बस बुता करत हे मन भर भरे हे डर अऊ भय ।
अपनेच घर के बनिहारिन बपरी बूड मरय नहकौनी दय ॥
'शकुन' करे हस भारी गलती दस ठन तोरेच निकलही पय ।
चुप्पे - चुप सहि जा कुछु झन कह बूड मरय नहकौनी दय ॥
ससुरार म बेटी भूख मरत हे बूड मरय नहकौनी दय ॥
बेटी के थरहा ल कुक्कुर मन लूस-लूस के खावत हावय ।
ऊपर ले अमर- बेल चुहकत हे बूड मरय नहकौनी दय ॥
देश-भक्ति के खातिर जे ह जिनगी अपन समर्पित कर दिस ।
वोकरे पागी ल तीरत हावय बूड मरय नहकौनी दय ॥
अन्ना के भारी मरना हे अब ममता ल का जवाब दय ।
तृण- मूल ले कइसे कन्नी काटय बूड मरय नहकौनी दय ॥
लइकई ले बस बुता करत हे मन भर भरे हे डर अऊ भय ।
अपनेच घर के बनिहारिन बपरी बूड मरय नहकौनी दय ॥
'शकुन' करे हस भारी गलती दस ठन तोरेच निकलही पय ।
चुप्पे - चुप सहि जा कुछु झन कह बूड मरय नहकौनी दय ॥
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