बोरे खायेंव बासी खायेंव मुनगा - भाजी संग म ।
आ जा पहुना तहूँ ह खा ले मोर मया अउ उमंग म ॥
फरा बनायेंव पातर - पातर तिल्ली म बघारत हौं ।
लाली मिरचा के फोरन दे हँव रस्ता तोर निहारत हौं ॥
जिमीकॉंदा के साग चुरे हे वोमा डारे हौं मुनगा ।
गरम - मसाला डारे हावौं आउ डारे हावौं झुरगा ॥
आलू - केरा साग चुरे हे सँग म हावय चँउंसेला ।
तैं नइ आए बैरी अब मैं बॉंहटत हौं एला - वोला ॥
बोहार के भाजी रॉंधे हावौं तेमा दही ल डारे हावँव रे ।
तसमई रॉंधे हावँव अब मैं तोर बिन कइसे खावँव रे ?
कतको हॉंसथौं बोलथौं फेर मैं तोरेच सुरता करथौं रे।
जी अटके हे तोर-बर मोर मैं छिन-छिन जीथौं मरथौं रे॥
खेडहा - भाजी दार- डार के रॉंधे हौं तैं आ जा घर ।
ज्वालामुखी परे हे मन म तहूँ तो थोरकन अनुभव कर॥
खेत म करगा बाढे हावय पातर हो गए हावय धान ।
अपने घर म चेत लगा तैं आन के गोठ म झन दे कान॥
बोरे- बासी खा लेथौं मैं चिख लेथौं आमा के अथान ।
फेर खा लेथौं बिही-पान कोन लानही मोर बर बीरापान?
आ जा पहुना तहूँ ह खा ले मोर मया अउ उमंग म ॥
फरा बनायेंव पातर - पातर तिल्ली म बघारत हौं ।
लाली मिरचा के फोरन दे हँव रस्ता तोर निहारत हौं ॥
जिमीकॉंदा के साग चुरे हे वोमा डारे हौं मुनगा ।
गरम - मसाला डारे हावौं आउ डारे हावौं झुरगा ॥
आलू - केरा साग चुरे हे सँग म हावय चँउंसेला ।
तैं नइ आए बैरी अब मैं बॉंहटत हौं एला - वोला ॥
बोहार के भाजी रॉंधे हावौं तेमा दही ल डारे हावँव रे ।
तसमई रॉंधे हावँव अब मैं तोर बिन कइसे खावँव रे ?
कतको हॉंसथौं बोलथौं फेर मैं तोरेच सुरता करथौं रे।
जी अटके हे तोर-बर मोर मैं छिन-छिन जीथौं मरथौं रे॥
खेडहा - भाजी दार- डार के रॉंधे हौं तैं आ जा घर ।
ज्वालामुखी परे हे मन म तहूँ तो थोरकन अनुभव कर॥
खेत म करगा बाढे हावय पातर हो गए हावय धान ।
अपने घर म चेत लगा तैं आन के गोठ म झन दे कान॥
बोरे- बासी खा लेथौं मैं चिख लेथौं आमा के अथान ।
फेर खा लेथौं बिही-पान कोन लानही मोर बर बीरापान?
इस पोस्ट की चर्चा, दिनांक :- 22/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 48 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....