Sunday 4 August 2013

सावन


सावन के का बात हे भाई सावन तो मन भावन ए
सबो  महीना आथे- जाथे फेर सावन तो सावन ए ।

हरेली के तिहार हर  आथे सावन अमावस के दिन
गाँव म सब झन गेड़ी चढथें हरेली  तिहार के दिन ।

नांगर बैला के होथे पूजा सब  के मन होथे हरियर
हरेली ल कहिथें हरियाली शहरिहा होगे हरेली हर  ।

राखी  के तिहार लानथे  एही सावन के  पुन्नी  हर
मया ल भाई अउ बहिनी के सुरता देवाथे राखी हर ।

पुन्नी के दिन ह शुभ  होथे सबो सुख मन सकलाथें
 संस्कृत के सुरता करथें फेर संस्कृत दिवस मनाथें ।

संस्कृत परम ध्येय मनखे के मोक्ष द्वार म अमराथे
संस्कृत के साहित्य घला के सबो गोठ ल समझाथे ।

बाबा  अमरनाथ के दर्शन राखी के दिन करथें सब
बिकट भीड़ उमड़े रहिथे सबो सुगम हो गए हे अब  । 

सावन सोमवार ए शिव के शिव  ए सबके रखवाला
शिवजी  हर तो अवढर दानी ए बिन माँगे देने वाला । 

शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग  ]

  

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया!!
    शंकर भगवान तो बड़े दानी है बिना मागें सब दे देते हैं ....

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  2. सावन महीना के तिहार मनके सुग्घर बरनन. बधई..........

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