सबो महीना आथे- जाथे फेर सावन तो सावन ए ।
हरेली के तिहार हर आथे सावन अमावस के दिन
गाँव म सब झन गेड़ी चढथें हरेली तिहार के दिन ।
नांगर बैला के होथे पूजा सब के मन होथे हरियर
हरेली ल कहिथें हरियाली शहरिहा होगे हरेली हर ।
राखी के तिहार लानथे एही सावन के पुन्नी हर
मया ल भाई अउ बहिनी के सुरता देवाथे राखी हर ।
पुन्नी के दिन ह शुभ होथे सबो सुख मन सकलाथें
संस्कृत के सुरता करथें फेर संस्कृत दिवस मनाथें ।
संस्कृत परम ध्येय मनखे के मोक्ष द्वार म अमराथे
संस्कृत के साहित्य घला के सबो गोठ ल समझाथे ।
बाबा अमरनाथ के दर्शन राखी के दिन करथें सब
बिकट भीड़ उमड़े रहिथे सबो सुगम हो गए हे अब ।
सावन सोमवार ए शिव के शिव ए सबके रखवाला
शिवजी हर तो अवढर दानी ए बिन माँगे देने वाला ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग ]
बहुत बढ़िया!!
ReplyDeleteशंकर भगवान तो बड़े दानी है बिना मागें सब दे देते हैं ....
सावन महीना के तिहार मनके सुग्घर बरनन. बधई..........
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