बैरी तैं नई आए भिनसरहा हो गईस
सुकुवा ह मोला निनासिस अऊ चल दिस।
पलक के बहिरी म रस्ता बहारेंव
रस्ता म आँखी के पुतरी दसाएंव
दार अऊ भात म करा एदे पर गईस
बैरी तैं नई आए भिनसरहा हो गईस ।
सब्बो संगवारी मन झूलना झूलत हें
सावन म जिन्दगी के मज़ा लेवत हें
तोर बिना जिनगी ह अदियावन हो गईस
बैरी तैं नई आए भिनसरहा हो गईस ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई [ छ. ग. ]
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