Thursday 25 July 2013

ठुमरी


बैरी  तैं  नई  आए  भिनसरहा  हो  गईस

सुकुवा ह मोला निनासिस अऊ चल दिस।

 

पलक के  बहिरी म रस्ता बहारेंव

रस्ता म आँखी के पुतरी दसाएंव

दार अऊ भात  म करा  एदे  पर  गईस

बैरी तैं  नई आए  भिनसरहा हो गईस ।

 

सब्बो संगवारी मन झूलना झूलत हें 

सावन म जिन्दगी के मज़ा लेवत हें

तोर बिना जिनगी ह अदियावन हो गईस

बैरी  तैं  नई  आए  भिनसरहा  हो  गईस ।

 

शकुन्तला शर्मा, भिलाई [ छ. ग.  ]

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