टेसू फूल धरे हे वो हर ठाढे. हावय दुवारी म।
भौंरा कस ऑंखी हे वोकर आमा- मौर हे पागा म
मुच-मुच हॉंसत कामदेव-कस ठाढे. हावय दुवारी म।
मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध बॉंदी हो गए हे आज
लाज लुका गे कहॉं को जनी फागुन खडे. दुवारी म ।
पिवॅंरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज
दार - भात म करा ह पर गे फागुन खडे. दुवारी म।
रस्ता देखत रहेंव बरिस भर कइसे वोला बिदारौं मैं
’शकुन‘ तैं पहुना ल परघा ले ठाढे. हावय दुवारी म ।
शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज
भिलाई 490006 दुर्ग छ. ग.
अचल 0788 2227477 सचल 09302830030
aap ke is blog ke liye aap ka abhar jo aap ne apni boli ke liye samarpit kiya
ReplyDelete