Monday 12 January 2015

निंदिया चुप्पे - चुप आ जा

                        ग्यारह

चुप्पे - चुप आ  जा  तयँ  अँखियन  म निंदिया आ जा तयँ आ जा आ जा 
नोनी ल संग म सुता ओ निंदिया झटकुन तयँ आ जा आ जा ओ आ जा ।

जमुना के तीर म कदम्ब के रुख हे
 नोनी ल झुलना झुला जा निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा

तस्मै चुरे  हे वृन्दा -  वन  म
नोनी ल घला  खवा  जा  निंदिया आ जा  रे आ  जा ।
चुप्पे - चुप आ जा

कान्हा के बंसरी बाजत हावय
नोनी  ल  बंसी  सुना  जा  निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा

वृन्दा- वन  म  रास - रचत हे
नोनी  ल  गोपी  बना जा  निंदिया आ जा रे आ जा ।
चुप्पे - चुप आ जा


                  बारह

        नोनी ल लोरी सुना

नोनी ल लोरी -  सुना ओ  निंदिया आ जा ओ आ जा 
अँचरा-- ओढा के सुता ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।

नोनी ह दिन - भर खेलिस - कूदिस हे 
अंगना अऊ  परछी  ल  एक करिस हे ।
नवा  बल - बुध देहे आ ओ निंदिया आ जा ओ आ जा 
अँचरा - ओढा के  सुता ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।

तोर - गोड झन बाजय धीरे - धीरे आबे 
सुरुज ऊए  के आघू झटकुन तयँ आबे । 
किस्सा - कहानी  सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी  ल  लोरी  सुना ओ  निंदिया आ  जा  ओ आ जा ।


                   तेरह

     बेंदरा होथे बिकट नकलची

हुप - हुप - हुप - हुप बेंदरा आए हे 
आमा - रुख म वो - हर लुकाए हे ।

पक्का - पक्का - आमा  खात  हे 
आऊ वो  ह  मोला  बिजरावत  हे ।

वो  गबर - गबर आमा खावत  हे
मोर -  मुँह -  बिकट  पंछावत  हे ।

एक - ठन बरात के आइस सुरता
खावत रहे  हवँ  मयँ हर  भइरता ।
डोकरा -  बबा हर बात - बताइस 
बता - बता  के  बिकट -  हॉसिस ।
"बेंदरा - होथे  बिकट -  नकलची
गोठ  बतात  हवँ सच्ची - मुच्ची ।"

तुरते -  बात  समझ  म आ  गे
बबा  के  गोठ  के  सुरता आ  गे ।
मयँ -  बेंदरा  ल  कोहा -  मारेंवँ 
कोहा मार  के  मयँ  हर  भागेंव ।

ओ  हर तुरते आमा  म  मारिस
कई - कई ठन आमा म मारिस ।
मीठ - मीठ आमा मैं हर पायेंव 
मन- भर आमा मयँ हर खायेंव ।

बबा  के  गोठ  म  हावय - दम 
पुरखा  के  पॉव  - परव  हरदम ।
सियान के गोठ ल कान म सुन 
बड  - मिठास  हे  मन  म  गुन ।


               चौदह 

     धौंरी गाय आही

धौंरी - गाय ह  आही 
 बछरू   ल  पियाही ।
पाछू -  फेर   दुहाही 
गोरस  ल  तिपोहवँ 
दुलरू  ल  पियाहवँ ।

तयँ हर पल्ला  भागबे
लउहा - लउहा बाढबे ।
तयँ  मदरसा  - जाबे 
पढ  - लिख  के आबे ।

फेर रायपुर म  पढाहवँ
मास्टर तोला बनाहवँ ।
सब झन ल तयँ पढाबे
तयँ  हर गुरुजी बनाबे ।

तैं पसरा - रुपिया पाबे
गॉव  ल  झन - भुलाबे ।
सिध्द - बावा मेर जाबे
मूढ  ल  तयँ  ह नवाबे ।

तयँ सब के काम आबे 
अपन  नाव  -  कमाबे । 
मोर - अँचरा  उजराबे
उज्जर -जस तयँ पाबे ।


          पन्द्रह

अभी झट के सुतबो

अभी   झट  के  सुतबो
भिनसरहा  कन उठबो ।
जब नहा - धो के आबो
चीला - चटनी - खाबो ।

पहाडा -  याद - करबो
मदरसा -  हम - जाबो ।
मन  - लगा  के  पढबो
मेहनत अब्बड  करबो ।

पढ लिख के जब आबो
दार अऊ  भात  खाबो ।
धौंरी- गाय तीर जाबो
 वोला खिचरी खवाबो ।

धौंरी ह  गो - रस दीही
मोर  नोनी  हर  पीही ।
फेर पल्ला दौंड लगाही
ईनाम- जीत के आही ।

आ  रे  निंदिया आ  रे
अँचरा  ल ओढा  दे  रे ।
मोर नोनी थके हावय
लउहा -  लउहा आ  रे ।


         सोलह

भुइयॉ महतारी झूलना ए

भुइयॉ - महतारी ह झुलना  ए
वो  हर  दिन - रात  - झूलाथे ।
पता नइ चलय सुख के दिन ह
कऊखन आथे कऊखन जाथे ।

नोनी तयँ धरती - दायी कस
सब्बो  दुख ल गट - गट पीबे ।
फेर सब झन ल तैं सुख  देबे
तयँ  सब  के  पीरा - हर  लेबे ।

तोला मैं बेटा - कस पोंसिहवँ
जतका  पढबे  तोला पढाहवँ ।
तोर हर सपना पूरा करिहवँ
लोरी - गा  के तोला सुताहवँ ।

तैं ह गॉव म स्कूल - खोलबे
जम्मो -  झन ल तहीं पढाबे ।
अपन  गॉव  के  सेवा  करबे
गॉव के जस ल  तहीं  बढाबे ।

सुंदर सरिख छोकरा देख के
कर  देहवँ  मैं  तोर - बिहाव ।
तोर जिनगी ह सुख म बीतै
मन म रहै सदा शुभ - भाव ।


           सत्रह

धरती - माई के झूलना म

धरती -  दायी  के झूलना म 
सुत  जा रे मोर राधा - रानी ।
देख सुनावत हवँ मयँ तोला
अपने मुँह म अपन कहानी ।

मैं हर पढे - लिखे नइ पायेंव
जिनगी भर मैं दुख पाए हौं ।
तोला मैं हर बिकट पढाहवँ
खेती के सब हुनर- बताहवँ ।

तयँ खेती - वैज्ञानिक बनबे
भारत  के  तयँ  सेवा करबे ।
गॉव - गॉव म तयँ हर जाबे
हर  गरीब  के  पीरा - हरबे ।

सब ल मिलै दार अऊ भात
सब्बो घर म होवय - गाय ।
गो - रस  ह अमृत ए नोनी
सब के घर म गाय बंधाय ।

मनखे गाय ल थोरे पोंसथे
गाय  पोंसथे एक परिवार ।
मोर सपना तैं ह सच करबे
चमकाबे सब  खेत - खार ।


            अठारह

   निंदिया रानी आवत हे

निंदिया -  रानी  आवत  हे  लोरी  तोला  सुनावत  हे 
बडे - बिहिनियॉ उठ जाबे तयँ कुकरा - हॉक पारत हे ।

लाली - गाय के दूध पियाहवँ मयँ हर राधा - रानी ल 
फेर अँगना म खेलबे तयँ ह सुनिहवँ तोतरी  बानी ल ।

थोरिक - बेर म तेल चुपर के मयँ  हर तोला नहवाहौं
फेर अँगोछ के ओन्हा तोला सुघ्घर मयँ हर पहिराहौं ।

अँगरा - रोटी खा के तैं हर रोज पढे  बर  स्कूल  जाबे
पढ लिख लेबे तभे तैं ह दुनियॉ भर म  नाव - कमाबे ।

तोला मैं ह बिकट पढाहौं भले बेचा जावै मोर - गहना
मेहनत म सुख के डेरा हे बस अतके हावै मोर कहना ।

पढ - लिख के तैं मोला पढाबे मोर गुरु तैं ह बन जाबे
ज्ञान - अँजोर तहीं बगराबे सरी गॉव म नाव  कमाबे ।


                      उन्नीस

        गाय कहिथे - मॉ - मॉ 

गाय - कहिथे - मॉ - मॉ 
बिलाई कहिथे - म्याऊँ - म्याऊँ 
कुकुर कहिथे - भों - भों
कौंवा कहिथे - कॉव - कॉव  ।

कोइली कहिथे - कुहु - कुहु
घुघुवा कहिथे- ऊउउ - ऊउउ
चिराई कहिथे - चीं - चीं
बेंदरा कहिथे - हुप - हुप ।

बघवा करथे - हॉव - हॉव
भेंगवा करथे - टर्र - टर्र
झेंगुरा कहिथे - चिकी - मिकी
घोडा कहिथे - हिन - हिन ।

हाथी कहिथे - चीङ्ग - चीङ्ग
मिट्ठू कहिथे - तपत्कुरु
जॉता करथे - घर्र - घर्र
ढेंकी कहिथे - छर - छर
 नॉगर कहिथे - हल - हल  ।

नोनी स्कूल जाही
पढ - लिख के आही ।
महूँ ल पढाही 
सब ल पढाही ।

आ रे निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।
लउहा - लउहा आ तो तैं हर
नोनी मेर गोठिया रे ।
आ जा निंदिया आ रे
अँचरा ल ओढा रे ।


        बीस

        लोरी

आ रे चिल्हरा आ रे चिल्हरा बाबू संग तयँ  खेल रे 
तोला कनकी देवत हाववँ बाबू - संग  तयँ खेल रे ।

बोनी करे ब मैं जावत हौं संझा - कन मैं आहवँ रे
अँगरा - रोटी  माढे हावय अऊ अथान के  तेल  रे ।

आवत - घानी दुन्नों झन बर गेडी ले के आहवँ रे
अऊ संगे संग दुन्नों झन बर ले  के आहवँ बेल रे ।

समे सुकाल होही एसो तव नवा-नवा ओन्हा लेबो
नावा -  नावा ओन्हा - पहिरे  देखे  जाबो  रेल  रे ।

मोर दुलरू ल बहुत - पढाहौं गहना - गूँठा बेच के
खेत ल मैं कभ्भु नइ बेंचव रखिहौं बने सकेल के ।

उपास धास बाबू ब करिहौं मोला दुरिहा ह दिखथे
उज्जर -  हाथी म बइठे वो डारत हावय नकेल रे ।

बाबू सुत गे जा रे चिल्हरा कनकी ल तैं खा ले रे
बडे - बिहिनिया बाबू उठही खेले बर तयँ आबे रे ।
  


   

         


    

         

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