Tuesday 6 January 2015

अन्ना के ऑधी

अन्ना  के ऑधी  ह  सब  ल  हलावत  हे
आहीं -  बाहीं  देखत  सरकार डेरावत  हे ।

हजार  हाथी के बल हे सच्चाई म सिरतो
निरलज - दुशासन ह सब ल सतावत हे ।

कुण्डली  मारे  बइठे  हे साठ बरिस हो गे
महंगाई के कोडरा म मनखे ल मारत हे ।

कलजुग ह राजा के मूड  भीतर खुसरे हे
जनता  ह अन्ना  ल बापू कस मानत हे ।

अन्ना  तैं  रेंग ग तोर पीछू - पीछू हावन
'शकुन' सरी जनता राजा ल बखानत हे ।

     जयप्रकाश फेर रो डारिस 

जलिया  वाला बाग म ए दे  डायर  दहिकॉदो कर डारिस 
आधा रात के सुसक सुसक के जयप्रकाश फेर रो डारिस ।

देख - रेख करही कइ  के  हम  संसद म  इनला  बैठारेन
हमरे ऊप्पर लाठी - भॉजत जें जयप्रकाश फेर रो डारिस ।

सुते निहत्था मनखे मन ल अश्वत्थामा कस मारिस हे 
"महूँ ल अइसने मारे रहिस हे"जयप्रकाश फेर रो डारिस । 

साठ - बरिस ले चुहकत हावै सरी देश ल ढेकुना -  कस 
लोकतंत्र  के  लहू  पियत  हे  जयप्रकाश  फेर  रो डारिस ।

बाबा  रामदेव  थाम्हें  हे  मोर  मशाल  ल  देखव  आज 
एही  सोच  के  खुशी  के  मारे  जयप्रकाश फेर रो डारिस ।

वीर - प्रसूता भारत - जननी ' शकुन'  बचाही प्राण हमर
छूरा - धरा  पारेन  बेंदरा  ल  जयप्रकाश  फेर  रो डारिस ।

        महंगाई सुरसा कस बाढत हे

महंगाई सुरसा कस बाढत हे जागव अब मोहन प्यारे 
भ्रष्टाचार -  सुहावत  नइये  जागव  अब मोहन प्यारे ।

खेल - खेल म कलमाडी ह लद्दी म मूडभरसा गिर गे 
'मैं नइ जानौं 'झन कहिबे तैं जागव अब मोहन प्यारे ।

दू - सौ - लाख - करोड लील दिस टू जी स्पेक्ट्रम हर
कइसे  ऑखी  मूँदे  हावव  जागव  अब  मोहन  प्यारे ।

करिया -धन हर भर गै हावै देश विदेश म सबो जगह
मन - मोहन औंघावत हावय जागो अब मोहन प्यारे ।

नक्सली  पंदोली  पावत  हावैं तभे तो पनपत हावैं न
'शकुन' सुते हावै  सियान ह जागव अब मोहन प्यारे ।

      अन्ना हर सरकार ल चेताइस हे

अन्ना हर सरकार ल जंतर - मंतर ले चेताइस हे 
जनतंत्र के महत्व ल गॉधी  कस समझाइस  हे ।

अन्ना तैं अक्केला नइ अस देश तोर संग ठाढे हे
देश  ह  सत्याग्रह  ल  तोर - कण्ठ  ले गाइस हे ।

अन्ना तैं निष्फिकर रह जनता जाग गय हावय
जयप्रकाश  के ऑदोलन आज  रंग  लानिस  हे ।

राज करते - करत शासन  हर दुशासन  हो  गे
मिश्र सरिख माहौल आज भारत म आ गिस हे ।

'शकुन' जा तो  तहूँ  अन्ना - टोपी ल  पहिर  ले
अंग्रेज़  ल  बिदारे  बर ओ  गॉधी  फेर आइस हे ।   
 

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