Friday 9 January 2015

देवता धामी भाव म बसथे

मन के  श्रध्दा  हर  पूजा  ए  देवता - धामी  भाव म बसथे
कुछु जिनिस के जरुरत नइये देवता धामी भाव म बसथे ।

फूल ले फर ले अऊ नरियर ले देवता धामी खुश नइ होवयँ
प्रेम से वोकर मेर गोठियावव देवता धामी भाव म बसथे ।

नदिया के जब पूजा करथव  फूल - पान वोमा झन डारव
दिया बोहावव झन नदिया म देवता धामी भाव म बसथे ।

सोन - चांदी रुपिया - पैसा ले देवता-धामी ल का मतलब
वोहर खुद वैभव के स्वामी देवता -  धामी भाव म बसथे ।

भगवान भाव के भुखहा हावै धन -  दौलत ल का  करही
मया - प्रेम ले वोला रिझावव देवता धामी भाव म बसथे ।

         फोकट म अधिकार नइ मिलय

आज़ादी  का  फोकट  मिल  गे कतका बड कीमत चुकाय हन 
आजो  लहू  चढावत  हावन  फोकट  म अधिकार नइ मिलय ।

हक  नइ  मिलय  सजे - थारी  म  लडना   परथे  बडे - लडाई
लूट  के  लेना  परथे  हक  ल फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

मान - सरोवर   कहॉ   गँवा  गे  अब  वोला हम  कइसे पावन
ड्रैगन  के  जबडा  ले  लानव  फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

राणा - प्रताप  हर  लडिस  लडाई  कतका दुख पाइस परिवार
भामाशाह मिलिस फेर वोला फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

बहिनी  -  मन अब आघू - आवव अपन हक़- बर करव लडाई
भाई - मन  के  हाथ ले लूटव फोकट म अधिकार नइ मिलय ।

            गुटखा पान कहूँ झन खावव

भारत - माता   ल  सजाए  बर  देना  परही  अब  कुरबानी 
महतारी के मान - बढावौ गुटखा - पान  कहूँ  झन  खावव ।

पचर - पचर थूकत हावैं सब कहॉ ले भारत  सुघ्घर  दिखही
मुँह म थोरिक लगाम लगावौ गुटखा पान कहूँ झन खावव ।

नान- नान लइका - मन मुँह म गुटखा - माखुर भरे - भरे हें
बोहाथे बचपन तेला बचावौ गुटखा - पान कहूँ झन खावव ।

सुघ्घर - सफ्फा  रहय  देश  हर  ए  सब  के  जिम्मेदारी ए 
मुँह ल तो पहिली उजरावव गुटखा पान  कहूँ  झन  खावव । 

देश  के  हित  सब  ले  आघू  हे उद्योगी - मन  देवयँ ध्यान 
देश ल सुघ्घर स्वच्छ बनावौ गुटखा पान कहूँ झन खावव ।   


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