Friday 9 January 2015

जन - जन ल जागे बर परही

भिनसरहा हो गय हे भैया जागव उठव करव अब काम
देश तरक्की करही लेकिन जन - जन ल जागे बर परही ।

सबके हित म मोरो हित हे सब झन ल एही समझना हे
दुनियॉ हर परिवार ए हमरे जन - जन ल जाने बर परही ।

महतारी  के  मान  बढाबो  करबो  देश  के  हित म काम
तभे  देश  हर आघू  बढही  जन - जन  ल जागे बर परही ।

अपन - बिरान ल छोडव भाई सब के हित  म बुता करव
तभे हमर तकदीर सँवरही जन - जन ल जागे  बर  परही ।

भारत ऋषि - मुनि के धरती ए दुनियॉ भर ल पाठ पढाथे
दुनियॉ फेर निहारत हावय जन - जन ल जागे  बर परही ।

          नोनी हर रमजावत हावय

कतका गुन ल धरे पेट म हर नोनी ह अकुलावत हावय
देश तरक्की पातिस लेकिन नोनी  ह रमजावत हावय ।

नोनी चन्दन के लकरी कस महर -  महर मम्हावत हे 
गुन  के  कोनो कदर कहॉ हे नोनी  ह रमजावत हावय ।

वोकर - गुन ह अवगुन बन गे जेकर लाठी तेकर भैंस 
घर  म  राक्षस  बइठे  हावय  नोनी ह रमजावत हावय ।

हिंसा ले नोनी नइ बॉहचय अइसे निरदई हमर समाज 
नोनी - कती  कहूँ  नइ बोलयँ नोनी ह रमजावत हावय ।

वोकर जिनगी गिरवी हावय कम्प्यूटर कस बौरावत हे 
वोकर जिन्दगी वोकर नोहय नोनी  ह रमजावत हावय ।

1 comment:

  1. Sabo noni aagoo badat havayn, Ķoi noni ramjavat naiyn. Madam! apan soch la badalo. Kaushik Ganesh

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