Sunday 5 October 2014

बादर पानी के दिन आ गे

बादर -  पानी  के  दिन आ  गे  अब  तो पानी  पूरा  आही
बोरे - बासी  के  दिन  बीतिस  दार - भात हर अब भाही ।

फरा अँगाकर - रोटी  चीला  चटनी  सँग  सब  खावत  हें
खेत -  खार हर कजरी  ठुमरी सुवा - ददरिया अब गाही ।

अँगना  गली  खोर  म  चिखला  नोनी खेलय कोन मेरन
सम्हर- पखर  के  बादर  राजा  सब्बो झन नाच नचाही ।

पानी  के  झिपार के  सँग  म  गेंगरुआ आ  गे  परछी  म
भौजी  निच्चट छिनमिनही हे ननंद वोला अब  डेरवाही ।

चिक्कन  होगे  सबके  एडी  'शकुन'  सबो  भभरत हावयँ
चौमास म सबके कोठी भरही सबो गॉव ह खुशी मनाही ।

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