Thursday 23 October 2014

शकुन रोवत हे गंगा मैया

गंगा  कहॉ  ले  निर्मल  होही  सरी  गँदगी  ऊँहे  जात  हे
कहूँ  झन  करव  पूजा  वोकर एही एक ठन सार बात ए ।

गंगा - तीर मुरदा बारे ले मनखे ह सद्- गति नइ पावय
मनखे करम ले पुण्य कमाथे एही एक ठन सार बात ए ।

अस्थि -विसर्जन ले अब कइसे बॉहचय महतारी गंगा हर
खुद  मैलागे  वोही  बिचारी  एही  एक  ठन  सार  बात ए ।

गंगा  ल  जे  मनखे उजराही गंगा  हर  वोला उजरा  दीही
फूल पान झन वोमा बोहावव एही एक ठन सार बात ए ।

'शकुन' रोवत  हे  गंगा  माई  कइसे  वोकर  थमही ऑसू
उज्जर करौ वोकर अ‍ॅचरा ल एही एक ठन  सार  बात ए ।

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