Wednesday 3 April 2013

फागुन

रंग म बूड. के फागुन आ गे बैठ पतंग सवारी म
टेसू फूल     धरे  हे वो हर ठाढे. हावय दुवारी म।

भौंरा  कस   ऑंखी  हे  वोकर आमा- मौर हे पागा म
मुच-मुच हॉंसत कामदेव-कस ठाढे. हावय दुवारी म।

मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध बॉंदी हो गए हे आज
लाज   लुका  गे  कहॉं को जनी फागुन खडे. दुवारी म ।

पिवॅंरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज
दार  -  भात  म  करा  ह  पर गे फागुन खडे. दुवारी म।

 रस्ता देखत रहेंव बरिस भर कइसे वोला बिदारौं मैं
’शकुन‘ तैं पहुना ल परघा ले ठाढे. हावय दुवारी म ।

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज
भिलाई 490006 दुर्ग छ. ग.
अचल 0788 2227477 सचल 09302830030

1 comment:

  1. aap ke is blog ke liye aap ka abhar jo aap ne apni boli ke liye samarpit kiya

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