Wednesday 3 April 2013

लोरी




ऑंखी म आ के समा ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी ल लोरी सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा।
नोनी हर दिन भर खेलिस कूदिस हे
अँगना अउ परछी ल एक करिस हे ।


नवा बल बुध देहे आ ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी ल लोरी सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।
गोड झन बजाबे चुपे - चुप आबे
सुरुज ऊए के पहिली तैं हर जाबे ।


किस्सा कहानी सुना रे निंदिया आ जा रे आ जा
अंचरा ओढा के सुता रे निंदिया आ जा रे आ जा ।
नोनी ल लोरी सुना रे निंदिया आ जा रे आ जा
झटकुन अब तैं हर आ रे निंदिया आ जा रे आ जा ।

शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग ]

अमृत-संदेश से साभार

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