Thursday 18 September 2014

छोटे झन बन

नाव  कमाए  के  चक्कर  म छोटे झन बन
आत्मा ल दुख झन दे तोला महँगा परही ।

पढ - लिख के दाई-ददा के आघू झन इतरा
देखबे तोरेच लइका हर तोला अडहा कइही ।

ईर्खा - दोख  बर  समय  कहॉ  हे  बाबू मोर
प्रेम  म  बूड के देख जिन्दगी तोर सँवरही ।

दाई -  ददा  बर  कभु  दुश्मनी  झन  करबे
मया  बॉट  के देख जिन्दगी तोर भभरही ।

नाच  ले  गा  ले आज  काल  फेर  का होही
दिन बादर म काल काल ह तोला अमरही ।
 

Wednesday 17 September 2014

आऊ कहॉ अतका सुख पाबे

आऊ  कहॉ अतका  सुख  पाबे
फेर  पाछू  तैं  झन  पछताबे ।

मनखे - चोला  मिले  हे तोला
थोरको  तैं  झन  रोबे -  गाबे ।

सत  के  गली  म  रेंगबे  तैं हर
सबके सुख दुख म गोठियाबे ।

देहे  के  मनसा  मन  म धरबे
पर  के  गुन  ल  तैं  सँहराबे ।

पर - हित  के  रस्ता  म  रेंगबे
नीक मनखे कस नाव कमाबे ।

Thursday 11 September 2014

बावन आखर ल परघाबो

बावन आखर ल परघाबो
हिन्दी भाखा के गुन गाबो ।

अँगरेज़ी तो परदेशी ए
हिन्दी भाखा म गोठियाबो ।

हिन्दी म जमो पढाई होही
काबर पर के जूठा खाबो  ?

दुनियॉ के अँगना म भैया
हिन्दी भाखा ल बगराबो ।

'शकुन' सबो के भाखा हावय
पर के घाट म काबर जाबो ?

Sunday 7 September 2014

बेटी बिदा आज होवत हे

बेटी - बिदा आज  होवत  हे
सब झन के ऑसू ढरकत हे ।

बाप  ह  कइसे  परगट रोवय
करेजा भीतर ह कसकत हे ।

महतारी  के  तो  मन पोनी  ए
जुन्ना लुगरा कस दरकत हे ।

बहिनी अभी नानकन  हावय
ओढर कर - करके  रोवत  हे ।

बडे - भाई ल बिकट - बुता  हे
मने - मन वो  ह सुसकत हे ।

बेटी  ह  मर - मर  के  जीही
अनहोनी ल ओदे अगोरत हे ।

देश धर्म बर जिनगी अर्पित

देश - धर्म बर जिनगी ल अर्पित करना  हे
दाई  के अँचरा ल  आउ उज्जर करना हे ।

कतका सुघ्घर मोर भारत के भुइयॉ हावय
सबो  घर  म जगमग अँजोर ल  भरना हे ।

बेटी  के  रक्षा बर  सब  झन बैठ के सोचव 
मिल जुर के हमला ओकर पीरा  हरना हे ।

गॉव - गॉव  के  होही  साफ - सफाई  भैया
शहर - गॉव  के  नक्शा  सबो बदलना  हे ।

अमर - बेल ल सहन नहीं अब उटकठ होगे
अपन गोड म हर मनखे ल अब  चलना हे ।