Tuesday 5 August 2014

छत्तीसगढ के सब्बो गॉव

आम  लीम  बर  पीपर  पहिरे  छत्तीसगढ  के  सब्बो  गॉव ।
नरवा -  नदिया  तीर  म  बैठे  छत्तीसगढ  के  सब्बो  गॉव ।

धान - सैकमी  कहिथें एला किसम-किसम  के  होथे धान ।
हरियर - हरियर  लुगरा  पहिरे  छत्तीसगढ के  सब्बो गॉव ।

हर  पारा  म  सुवा -  ददरिया  राग   सुनावत   रहिथे  ओ ।
संझा - कन जस गीत ल गाथे  छत्तीसगढ  के  सब्बो गॉव ।

भिनसरहा  ले  गॉव के फेरी भजन - मण्डली  करथे  रोज ।
देश   के  पोटा  म  लुकाय  हे  छत्तीसगढ   के  सब्बो  गॉव ।

'शकुन' जगावव सबो गॉव ल गॉव म  बसथे  भारत  मोर ।
खनखनखनखन धान उगलत हे छत्तीसगढ के सब्बो गॉव ।

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर रचना
    सादर ---

    आग्रह है ------मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
    आवाजें सुनना पड़ेंगी -----
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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