Tuesday, 23 April 2013
Wednesday, 3 April 2013
लोरी

ऑंखी म आ के समा ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी ल लोरी सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा।
नोनी हर दिन भर खेलिस कूदिस हे
अँगना अउ परछी ल एक करिस हे ।
नवा बल बुध देहे आ ओ निंदिया आ जा ओ आ जा
नोनी ल लोरी सुना ओ निंदिया आ जा ओ आ जा ।
गोड झन बजाबे चुपे - चुप आबे
सुरुज ऊए के पहिली तैं हर जाबे ।
किस्सा कहानी सुना रे निंदिया आ जा रे आ जा
अंचरा ओढा के सुता रे निंदिया आ जा रे आ जा ।
नोनी ल लोरी सुना रे निंदिया आ जा रे आ जा
झटकुन अब तैं हर आ रे निंदिया आ जा रे आ जा ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग ]
अमृत-संदेश से साभार
फागुन
टेसू फूल धरे हे वो हर ठाढे. हावय दुवारी म।
भौंरा कस ऑंखी हे वोकर आमा- मौर हे पागा म
मुच-मुच हॉंसत कामदेव-कस ठाढे. हावय दुवारी म।
मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध बॉंदी हो गए हे आज
लाज लुका गे कहॉं को जनी फागुन खडे. दुवारी म ।
पिवॅंरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज
दार - भात म करा ह पर गे फागुन खडे. दुवारी म।
रस्ता देखत रहेंव बरिस भर कइसे वोला बिदारौं मैं
’शकुन‘ तैं पहुना ल परघा ले ठाढे. हावय दुवारी म ।
शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज
भिलाई 490006 दुर्ग छ. ग.
अचल 0788 2227477 सचल 09302830030
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