Tuesday 11 November 2014

रंग म बूड के फागुन आ गे

रंग  म  बूड  के  फागुन आ  गे बैठ - पतंग - सवारी म
टेसू  -  फूल   धरे   हे   वो  हर  ठाढे  हावय  दुवारी  म ।

भौरा -  कस ऑखी  हे  वोकर आमा - मौर  हे पागा म
मुच - मुच  हॉसत कामदेव कस ठाढे हावय दुवारी म ।

मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध बॉदी हो गए हे आज 
लाज  लुका  गे  कहॉ  कोंजनी  फागुन  खडे  दुवारी म ।

पिंवरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज
दार - भात  म  करा  ह  पर  गे फागुन  खडे  दुवारी म ।

रस्ता  देखत  रहेंव  बरिस  भर  कइसे  वोला  बिदारौं मैं
'शकुन'  तैं  पहुना  ल  परघा  ले  ठाढे  हावै  दुवारी  म ।

Sunday 9 November 2014

मया मान के का बरोबरी

मया - डगर  पलपला  भरे  हे  मया - मान के का  बरोबरी
ऑसू - सँगवारी  बन  जाथे  मया -  मान  के  का  बरोबरी ?

मनखे मान के भुखहा होथे मया के पय - डगरी नइ जानय
मन के भाव चॉउर - कस उज्जर मया-मान के का बरोबरी ?

रेंगत - रेंगत गोड पिरा गे तभो मया के थाह  नइ  मिलिस
नित - नित नवा- नवा हो जाथे मया - मान के का बरोबरी ?

बड - भागी  ए  वो  मनखे  हर मया के सुख ल जे बौरत हे
जल - बिन मछरी कइसे जीही मया - मान के का बरोबरी ?

'शकुन' मया ए जी के धक - धक दिखै नहीं फेर जी ले लेथे
जेन  जियत  हे  वो  ही  बूडथे  मया - मान के का बरोबरी ?

Thursday 6 November 2014

मन के गोठ ल झन गोठियाबे

चुप्पे - चुप ऑसू  पी  लेबे  मन  के  गोठ  ल  झन  गोठियाबे
कहूँ ल  कभ्भु  तैं  झन बताबे मन के गोठ ल  झन गोठियाबे ।

वोहर  तोला  नइ  भावय  तव  एमा  तोर  का  गलती  हावय
तैं  हर  वोकर भाव समझ ले  मन के गोठ ल  झन गोठियाबे ।

रहि  -  रहि  के  वो  हर  दुख  देथे  मैं  काकर  मेर  गोहरावँव
मुँह  सिलाय  हे  तैं  का करबे मन के गोठ ल  झन गोठियाबे ।

कतका  कहेंव  भुलाहौं  तोला  फेर तैं लहुट - लहुट के आथस
कइसे  वोला  बिसराबे  तैं  मन  के  गोठ  ल  झन  गोठियाबे ।

सॉझ  हो  गे  अब  चल  घर  जाबो डेहरी मोला अगोरत होही
काबर बिलमे 'शकुन' कही तौ मन के गोठ ल झन गोठियाबे ।

Wednesday 5 November 2014

मन ले तैं बाहिर नइ जावस

इहॉ - ऊहॉ  ले  किंदर  के आथौं  फेर  तोला मन म मैं पाथौं
मन  म  तैं  कब  के बइठे हस मन ले तै बाहिर नइ जावस ।

सँगी  मन  मसखरी  करत हें फेर मोर मन लइका कस रोथे
रोज के मैं हर मन्दिर जाथौं मन ले  तै  बाहिर नइ जावस ।

भभर के तोर सँग कई घौं बोलेंव फेर तैं हर काबर इतराथस
मोर मन म तैं राज करत हस मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।

एक - एक दिन कर - कर के अब जिनगी के संझा हर आ गे
का जानवँ तोर मन म का हे मन ले तैं  बाहिर  नइ जावस ।

कइसे जियत हवँ मैं का जानवँ मोला मन भर कोन खोजथे
मैं हर काकर हितवा हो गैं फेर मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।

वोकर भरोसा छोंड  'शकुन'  तैं अपन अकल ले  ले  तैं काम
समय ह सरपट भागत हावय मन ले तैं बाहिर नइ जावस ।

Sunday 2 November 2014

बने बने ल कहूँ नइ पूछय

बने - बने  ल  कहूँ  नइ  पूछय
मोर  खोरी बर सोंचही  कोन ?

कोन  मोला  स्कूल  अमराही
बासी   मोला  खवाही  कोन ?

दाई - ददा  बर  गरू  परे  हौं
दूसर  अब  सुध  लेही  कोन ?

काला कहौं कोन सुनही मोर
खोरी सँग अब खेलही  कोन ?

भगवान बर  चिट्ठी लिखे हौं
फेर चिट्ठी ल अमराही कोन ?

Saturday 1 November 2014

गरू झन मरव नोनी ल

नोनी  बिन  परिवार हे सुन्ना
गरू   झन   मरव   नोनी  ल ।

पहिली  घर  म  नोनी  आइस
हॉस  के   ले  लव  बोहनी  ल ।

दाई  -  ददा   के  सेवा  करथे
कमती झन समझौ नोनी ल ।

दुन्नो -  कुल  म  दिया बारथे
मॉग  के  ले  लव  छौनी  ल ।

सुख  के  परछो  पाना  हे तव
झन   तिरियावव  नोनी  ल ।  

पबरित लागय हिन्दुस्तान

जइसे  तोर  घर  हर  सफ्फा  हे
वोइसने हो जाए  हिन्दुस्तान ।

गली -  खोर  ल  सबो  बहारव
गोहरावत     हे    हिन्दुस्तान ।

हर   नदिया  ल   गंगा  मानव
इंकर  सफाई  म  दव  ध्यान ।

जल - देवता के पॉव ल पर लव
झन डारव थोरको फूल - पान ।

पन्ना कस चमकय मोर भारत
पबरित   लागय   हिन्दुस्तान ।