Saturday 25 October 2014

प्रश्न घला उत्तर बन जाथे

घेरी - बेरी  प्रश्न  करे  ले अकस्मात  उत्तर  मिल  जाथे
खोजबे  तव आघू  म आथे मनखे के मन हरिया जाथे ।

भीतरी  म  कोनो  बइठे  हे  उत्तर  धरे  अगोरत  हावय
कुछु  पूछ ले ओही बताथे हॉस - हॉस के वो गोठियाथे ।

मैं हर वोला नटवर कहिथौं वोहर मोर सँगे - सँगे रहिथे
सबो बात ल मन से सुनथे घाव म मरहम वोही लगाथे ।

रोथौं  तव ऑसूँ  ल  पोंछथे  मोला पोटार के वो समझाथे
हॉसबे न तव सुन्दर दिखबे अइसे कहिके बिकट हँसाथे ।

'शकुन' वोही ए तोर सँगवारी जे हर तोला मन भर भाथे
वो  हर  निच्चट  सग ए सब के वोही सब ल पार लगाथे ।

Thursday 23 October 2014

शकुन रोवत हे गंगा मैया

गंगा  कहॉ  ले  निर्मल  होही  सरी  गँदगी  ऊँहे  जात  हे
कहूँ  झन  करव  पूजा  वोकर एही एक ठन सार बात ए ।

गंगा - तीर मुरदा बारे ले मनखे ह सद्- गति नइ पावय
मनखे करम ले पुण्य कमाथे एही एक ठन सार बात ए ।

अस्थि -विसर्जन ले अब कइसे बॉहचय महतारी गंगा हर
खुद  मैलागे  वोही  बिचारी  एही  एक  ठन  सार  बात ए ।

गंगा  ल  जे  मनखे उजराही गंगा  हर  वोला उजरा  दीही
फूल पान झन वोमा बोहावव एही एक ठन सार बात ए ।

'शकुन' रोवत  हे  गंगा  माई  कइसे  वोकर  थमही ऑसू
उज्जर करौ वोकर अ‍ॅचरा ल एही एक ठन  सार  बात ए ।

Sunday 5 October 2014

बादर पानी के दिन आ गे

बादर -  पानी  के  दिन आ  गे  अब  तो पानी  पूरा  आही
बोरे - बासी  के  दिन  बीतिस  दार - भात हर अब भाही ।

फरा अँगाकर - रोटी  चीला  चटनी  सँग  सब  खावत  हें
खेत -  खार हर कजरी  ठुमरी सुवा - ददरिया अब गाही ।

अँगना  गली  खोर  म  चिखला  नोनी खेलय कोन मेरन
सम्हर- पखर  के  बादर  राजा  सब्बो झन नाच नचाही ।

पानी  के  झिपार के  सँग  म  गेंगरुआ आ  गे  परछी  म
भौजी  निच्चट छिनमिनही हे ननंद वोला अब  डेरवाही ।

चिक्कन  होगे  सबके  एडी  'शकुन'  सबो  भभरत हावयँ
चौमास म सबके कोठी भरही सबो गॉव ह खुशी मनाही ।

चलव चलव अब गॉव डहर

गॉव  बलावत हे हमला अब चलव - चलव  सब  गॉव -  डहर
बर पीपर लीम बलावत हावय चलव - चलव अब गॉव डहर ।

खेत  के  धान  मेढ  के  राहेर  ठुनक -  ठुनक  गोहरावत  हे
नॉगर - बैला गोठियावत हे  चलव - चलव अब  गॉव  डहर ।

उदुप  ले  भादो  परिवॉ आ  गे अब भोजली सेराय बर जाबो
देवी  गंगा  गावत - गावत  चलव - चलव अब  गॉव  डहर ।

मुनगा - बरी  के   साग चुरे   हे मोर  भौजी  पापर भूँजत हे
मुनगा - भाजी बड मिठात हे चलव - चलव अब गॉव डहर ।

हिन्दुस्तान  गॉव  म  बसथे  माटी  के  होथे  घर -  सुघ्घर
'शकुन' बनै सिरमौर देश मोर चलव- चलव अब गॉव डहर ।